विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। जयमल जैन पौषधशाला में साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने सोमवार को प्रवचन में कहा कि मनुष्य भव की प्राप्ति होना परम दुर्लभ होता है। मनुष्य जन्म अनमोल है। जीव अनादि काल से संसार में परिभ्रमण करते हुए पुण्य का घड़ा भरने पर मनुष्य भव को प्राप्त करता है। नर तन के समान कोई दूसरा रतन नहीं है। मनुष्य भव की दुर्लभता को समझने वाला ही उसका सदुपयोग कर सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य में मानवता होनी जरूरी है। मात्र आकृति से ही नहीं प्रकृति से भी मानव बनना होगा। विश्व में मनुष्य की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। परंतु मानवता के गुण घटते जा रहे हैं। जिस प्रकार गंध रहित फूल का कोई महत्व नहीं होता। उसी प्रकार मानवता के बिना मनुष्य पशु के समान ही है। पशु की अपेक्षा मानव में विशेष रूप से ऐसी विवेक बुद्धि होती है। जिसके द्वारा हिताहित का ज्ञान रहता है। अनुकंपा, सरलता, भद्रता, विनय, परोपकारिता आदि मानवता के लक्षण है। इन गुणों को अपनाने पर ही यह मनुष्य भव सार्थक सिद्ध होगा। संचालन संजय पींचा ने किया।
प्रवचन की प्रभावना किशोरचंद, पवन, अरिहंत पारख परिवार द्वारा वितरित की गयीं। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर विनीता पींचा, सरोज चौरड़िया, मंजू ललवानी एवं प्रिंस बोहरा ने दिए। विजेताओं को जय जैन बालिका मंडल की ओर से पुरस्कृत किया गया। आगंतुकों के भोजन का लाभ मोतीलाल, कंवलमल, हरकचंद ललवानी परिवार ने लिया। दोपहर 2 बजे से 3 बजे तक महाचमत्कारिक जय-जाप का अनुष्ठान किया गया। इस मौके पर धनराज सुराणा, नरेंद्र चौरड़िया, पी.प्रकाशचंद ललवानी, फतेहचंद छोरिया सहित अन्य श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।