शनिवार से प्रारंभ हुए 8 दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण
नागौर। जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में शनिवार को 8 दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण की आराधना प्रारंभ हुई। पर्युषण पर्व के प्रथम दिन धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने कहा कि पर्व वही कहलाता है, जो आत्मा को पवित्र करें। पर्युषण आत्म-शोधन एवं आत्म-शुद्धि का पावन पर्व है। पर्युषण जैसे आध्यात्मिक, धार्मिक, आत्मिक पर्वों को तप-त्याग पूर्वक मनाने से जीवन में एक नए परिवर्तन की ओर कदम बढ़ जाते हैं। पर्व और त्यौहार में अंतर बताते हुए साध्वी ने कहा कि त्यौहार से तीन तरफ से हार होती है- धन, शरीर एवं समय। जबकि आध्यात्मिक पर्व से कोई हानि नहीं अपितु लाभ ही लाभ होता है। पर्युषण धर्म जागरण का एक ऐसा पर्व है, जिसमें श्रावक-श्राविकाएं सांसारिक प्रवृत्तियों से निवृत्त होकर धर्म आराधना व जप तप में आत्म जागरण हेतु पुरुषार्थरत रहते हैं। पर्युषण पर्व के आने पर सर्वत्र आनंद की लहर छा जाती है। यह पर्व प्रतीक्षा को प्रतिज्ञा में बदलने का अवसर है। इन आठ दिनों में अंतगड सूत्र की वांचनी की जाती है। सभी जैन आगमों में अंतगड़ सूत्र ही ऐसा है जो पूरे आठ दिनों के अंदर पूर्ण किया जा सकता है। अन्य सूत्र कुछ बड़े हैं, कुछ छोटे हैं। इस सूत्र में वर्णित सभी 90 चरित्र आत्माएँ मोक्षगामी बनी। कार्यक्रम का प्रारंभ प्रातः 9 बजे अंतगड सूत्र वाचन के साथ हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं ने पुनः उच्चारण करते हुए शास्त्र पठन का लाभ प्राप्त किया। संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन और चौपाई की प्रभावना तथा प्रश्नोत्तरी विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी महेंद्रकुमार, अनुराग बेताला डेह हाल-मुकाम गुवाहाटी निवासी रहें। अनुराग बेताला ने साध्वी वृंद के मुखारविंद से तेले तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। प्रवचन प्रश्नों के उत्तर जयेश पींचा, परम ललवानी, विनीता पींचा, कल्पना ललवानी, पुष्पा ललवानी एवं संतोष चौरड़िया ने दिए। आगंतुकों के भोजन का लाभ निर्मलचंद चौरड़िया परिवार ने लिया। संघ मंत्री हरकचंद ललवानी ने बताया कि दोपहर 2 से 3 बजे तक कल्प सूत्र का वाचन किया गया। इस मौके पर महावीरचंद भूरट, नेमीचंद चौरड़िया, अमीचंद सुराणा, मांगीलाल बोहरा, नरपतचंद ललवानी सहित सैंकड़ो श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।