विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में रविवार को जयमल जैन पौषधशाला में सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम आयोजित किया गया। सभी ने एक-दूसरे को ‘मिच्छामि दुक्कड़म’ कहा। इस अवसर पर साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने संबोधित करते हुए कहा कि क्षमापना आदान-प्रदान का पर्व है। होली, दिवाली आदि हर पर्व में प्रेम स्वरूप वस्तुओं का आदान-प्रदान किया जाता है। लेकिन इस क्षमापना पर्व में भावों का आदान-प्रदान होता है। व्यक्ति दूसरों को सम्मान देता है और साथ ही उनसे क्षमा मांगता भी है। क्षमा आत्म शुद्धि की अचूक औषधि है। जिससे कर्म रूपी रोग मिट जाते हैं। वचन के द्वारा किए गए घाव पर क्षमा मरहम पट्टी का कार्य करती है। यह दिन बैर का खाता बंद करने वाला है। इस मौके पर जय संघ के महावीरचंद भूरट, प्रकाशचंद बोहरा, हरकचंद ललवानी, संजय पींचा, पुष्पा ललवानी, रीता ललवानी ने भी सभी से क्षमायाचना की। संघ द्वरा नरपतचंद ललवानी एवं उनके परिवार का सम्मान किया गया। साध्वी वृंद द्वारा महामांगलिक दी गयीं।तपस्वियों का किया बहुमान
क्षमापना कार्यक्रम के पश्चात श्रावक संघ द्वारा पर्युषण पर्व के दौरान 8 उपवास तथा उससे ज्यादा की तपस्या करने वाले ओसवाल जैन समाज के सभी तपस्यार्थियों का बहुमान किया गया। इसके बाद उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं की मौजूदगी में नवकार महामंत्र का पाट पौषधशाला से नरपतचंद ललवानी के निवास स्थान पर ले जाया गया। ललवानी के निवास स्थान पर नवकार मंत्र का जाप किया गया। सभी को ललवानी परिवार की ओर से निवास स्थान पर प्रभावना वितरित की गयीं। गौरतलब है कि पाट को घर ले जाने की बोली नरपतचंद, प्रमोद, सुनील, पूनम, नितेश ललवानी परिवार ने शनिवार को ली थी। सांवत्सरिक प्रतिक्रमण करवाने का लाभ जंवरीलाल, कमल, राहुल सुराणा परिवार ने जीव-दया की बोली लेकर प्राप्त किया। इस मौके पर अमीचंद सुराणा, प्रेमचंद चौरड़िया, अशोक ललवानी, ललित सुराणा, कन्हैयालाल तातेड़, ललित मुणोत, महेश गुरासा, नौरतन सुराणा, मूलचंद ललवानी, धनराज सुराणा, रूपेश ललवानी, कन्हैयालाल ललवानी, चंपालाल जांगिड़, जितेंद्र चौरड़िया, प्रकाशचंद ललवानी सहित अनेक श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।