जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में ओली तप आराधना जारी
विनय एक्सप्रेस पुस्तक समीक्षा, नागौर। जयमल जैन पौषधशाला में जारी नवपद ओली आराधना के अंतर्गत साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने बुधवार को कहा कि संसार सुख-दुख का चक्र है। सुख-दुख दिन रात के समान आते-जाते रहते हैं। कोई भी जीव हमेशा सुखी नहीं रह सकता है। उतार-चढ़ाव जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अपने आप को संभाल कर रखने वाला ही अपने जीवन का यापन सफलतापूर्वक कर सकता है। संकट की घड़ी आने पर उसे उसका सामना करना चाहिए। प्रतिकूल परिस्थिति में संघर्ष करने वाला ही महापुरुष बनता है। जिस प्रकार सोना जब कसोटी में कसा जाता है तभी उसकी पहचान होती है। उसी प्रकार जीवन की कसौटी पर कसने के बाद ही महापुरुष की पहचान होती है। महापुरुषों के जीवन में पूर्वाद्ध में भी विपत्ति वियोग की स्थिति उपस्थित होती है। लेकिन पुरुषार्थ के बल पर सफलता के शिखर तक पहुंच जाते हैं। विपत्ति कभी अकेले नहीं आती। पाप के प्रबल उदय के समय चारों तरफ से आती है। विपत्ति के समय परिजन, मित्रजन भी साथ छोड़ वैरी बन जाते हैं। जिस प्रकार कीचड़ में ही कमल होता है। उसी प्रकार विपत्ति से ही संपत्ति की प्राप्ति होती है। सुख-दुख किसी के द्वारा दिए नहीं जा सकते, वह तो स्वयं के कर्मादिन होते हैं।
साध्वी ने नवपद महत्व को दर्शाने हेतु श्रीपाल के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीपाल 5 वर्ष की आयु में पिता के वियोग के कारण अपनी प्राण-रक्षा हेतु 700 कोड़ियों के साथ रहते हुए रोग ग्रस्त हो जाता है, किंतु नवपद ओली आराधना के फल स्वरुप उसका कोड़ रोग दूर हो जाता है। धर्माराधना देव, गुरु ,धर्म की कृपा से पुण्यवाणी में अभिवृद्धि होती है और जीव के भाग्य का अभ्युदय हो जाता है। संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन की प्रभावना एवं प्रश्नोत्तरी विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी पी.प्रकाशचंद, सुनील, भावेश ललवानी परिवार रहें। प्रवचन प्रश्नों के उत्तर हरकचंद ललवानी, प्रकाशचंद बोहरा, खुशबू पींचा एवं सुशीला नाहटा ने दिए। आयंबिल एवं निवि तप आराधकों के भोजन की व्यवस्था बोहरावाड़ी स्थित उदयचंद ललवानी के निवास स्थान पर रखी गयीं। इस मौके पर प्रेमचंद चौरड़िया, किशोरचंद ललवानी, सोहन नाहर, मनोज ललवानी आदि उपस्थित रहें।