विनय एक्सप्रेस समाचार, जामनगर-गुजरात। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पैदा हूई परिस्थितियों के बीच आज भारत लौटे वहां के राजदूत रूद्रेन्द्र टंडन ने कहा कि अब भी राजधानी काबुल में कुछ भारतीय हैं और एयर इंडिया वहां के हवाई अड्डे के चालू रहने तक अपनी व्यवसायिक सेवायें शुरू रखेगा। काबुल स्थित भारतीय दूतावास के कर्मियों समेत 140 भारतीयों के साथ वायु सेना के विमान से गुजरात के जामनगर पहुंचे श्री टंडन ने पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही । उन्होनें ऐसी आमान्य परिस्थितियों में भी उन्हें और अन्य को स्वदेश वापस लाने के लिए वायु सेना के प्रति अभार प्रकट किया।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति पर उच्चतम स्तर से रोज-ब-रोज और मिनट-दर-मिनट नजर रखी जा रही है और इसी के आधार पर उन्हें औ अन्य भारतीयों को वहां से वापस लाने की कार्यवाही की गयी जिसमें दूतावास के निम्नतम स्तर के कर्मी से लेकर भारत सरकार के उच्चतम स्तर के व्यक्ति तक की भूमिका थी।
श्री टंडन ने कहा कि वहां स्थिति बहुत जटिल और प्रवाहमान है और अफगानिस्तान का इस्लामिक गणराज्य अब अस्तित्व में नहीं है।
उन्होंने कहा कि एयर इंडिया ने काबुल हवाई अड्डे पर पैदा हुई परिस्थितियों के चलते अपनी सेवायें अस्थायी तौर पर निलम्बित की हैं। हालांकि हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि जो भी वहां फंसा है उसे किसी तरह वापस लाया जा सके। इसके लिए विदेश मंत्रालय ने एक हेल्प डेस्क भी शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि बदली हुई परिस्थतियों के बावजूद अब भी काबुल में कुछ भारतीय हैं और वहां हवाई अड्डे के फिर से शुरू होने पर उन्हें वापस लाया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि ऐसे कितने भारतीय हैं, उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश वहां ऐसे लोगो ने अपना पंजीकरण नहीं कराया है। अफगानिस्तान जैसे देशों में जहां राजनीतिक परिस्थतियां तेजी से बदल जाती हैं, भारतीय नागरिकों को खुद को दूतावास में पंजीकृत कराना जरूरी हैं। श्री टंडन ने कहा कि ऐसे लोगों की संख्या 50 तक हो सकती है पर वह अधिकारिक तौर पर इस संख की पुष्टि नहीं कर सकते क्योंकि उनका कोई डेटा दूतावास में पंजीकृत नहीं है।
अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास को अस्थायी तौर पर बंद किए जाने के बारे में पूछे जाने पर श्री टंडन ने कहा, ऐसा नहीं है कि हमने अफगानिस्तान के लोगों को छोड़ दिया है। उनसे हमारा पुराना नाता और उनका कल्याण अभी हमारे मन में हैं। आगे भी हम उनके साथ अपने अंतरसंबंध जारी रखने के प्रयास करेंगे। हालांकि मैं यह नहीं कह सकता कि यह किस स्वरूप में होगा क्योंकि स्थितियां बहुत तेजी से बदल रही हैं।