कविता-जवानी  -लक्ष्मीनारायण खत्री 

कविता-जवानी  -लक्ष्मीनारायण खत्री 
चढ़ती हुई जवानी
ज़िन्दगी की लिखती कहानी
नया खून नई उमंग
पल-पल खिलती तरंग
कुछ करने की चाह
ऊंची जीवन की राह
जज्बा है नई पीढ़ी
चढ़ता ऊंची सीढ़ी
लक्ष्य पर है निशान
बनना है श्रेष्ठ इंसान
ओजस्वी सदा चेहरा
राष्ट्र सुरक्षा का पहरा
राष्ट्रीय एकता का है ज्ञान
रचनात्मक कार्य की खान
मन में बस्ती अप्सराएं
प्रेम की बहे सरिताए।