पुकार के सकारात्मक परिणाम : मातृ मृत्यु दर में आई कमी, खून की कमी होने लगी दूर, संस्थागत प्रसव को मिला बढ़ावा

पीएनसी चेकअप और इम्यूनाइजेशन के प्रति भी आई जागरुकता

जिला कलक्टर के निर्देशन में हजारों कार्मिकों के सतत प्रयास लाए रंग

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। मातृ-शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा के मद्देनजर जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल की पहल पर अप्रैल में चालू हुए ‘पुकार’ अभियान के अब सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं।


अभियान की सबसे बड़ी सफलता मातृ मृत्यु दर में आई कमी है। गत वर्ष अप्रेल से अगस्त तक जिले में प्रसव के दौरान 70 महिलाओं की मृत्यु हुई। वहीं इस बार अभियान के तहत आयोजित मातृ-शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण पाठशालाओं की बदौलत यह संख्या घटकर 32 पहुंच गई है। इस प्रकार अभियान के माध्यम से गत वर्ष की तुलना में 38 माताओं के जीवन की रक्षा की जा सकी है।
‘पुकार’ अभियान के तहत किए गए सतत प्रयासों की बदौलत महिलाओं में खून की कमी के आकड़ों में भी बेहतर सुधार आया है। गत वर्ष 0.39 प्रतिशत महिलाओं का हिमोग्लोबीन 7 ग्राम या इससे कम था। इस बार यह 0.19 प्रतिषत रह गया है। वहीं गत वर्ष 7 से 8 ग्राम हिमोग्लोबीन की 9.17 प्रतिशत महिलाओं की संख्या घटकर इस बार 5.04 प्रतिशत रह गई। आठ से नौ ग्राम हिमोग्लोबीन वाली गत वर्ष 39.75 महिलाएं थी, जो अब घटकर 24.27 हो गई हैं। इसी प्रकार गत वर्ष 44.47 प्रतिशत महिलाओं का हिमोग्लोबीन नौ से 10 ग्राम के बीच था। यह प्रतिशत भी घटकर अब 32.97 रह गया है।
अभियान की बदौलत पीएनसी चेकअप बढ़ा तो प्रसव पूर्व और पश्चात टीकाकरण के प्रति भी जागरूकता आई। गत वर्ष 50.64 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं द्वारा पीएनसी चेकअप करवाया गया। वहीं इस वर्ष 58.63 महिलाओं ने प्रसव के पश्चात भी जांचें करवाई। इसी प्रकार गत वर्ष 85.39 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष 86.65 प्रतिशत महिलाओं ने इम्यूनाइजेशन करवाया है।
अभियान के घरों में डिलीवरी की संख्या भी घटी है। गत वर्ष अगस्त तक जहां 267 होम डिलीवरी हुई। वहीं इस बार यह संख्या घटकर 146 रह गई है। प्रतिशत के लिहाज से देखें तो गत वर्ष अगस्त तक 74.44 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हुए। वहीं इस बार इसमें सुधार होकर यह 76.98 प्रतिशत पहुंच गया है।
पुकार के गांव-गांव किए गए प्रयासों प्रसव पूर्व जांच का प्रतिशत बढ़ा है। गत वर्ष अगस्त तक 63.86 प्रतिषत गर्भवती महिलाओं ने प्रसव पूर्व चार जांचें करवाई। वहीं इस वर्ष यह बढ़कर 74.28 प्रतिशत पहुंच गया है। इसी प्रकार प्रसव से 12 सप्ताह पूर्व संस्थागत प्रसव के लिए पंजीकरण प्रतिषत में भी बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जहां गत वर्ष अगस्त तक 68.29 प्रतिशत महिलाओं ने यह पंजीकरण करवाया, वहीं इस बार अगस्त तक 82.70 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने यह पंजीकरण करवाया है।
उल्लेखनीय है कि जिला कलक्टर की पहल पर इस वर्ष 6 अप्रैल से प्रत्येक बुधवार प्रत्येक ग्राम पंचायत और शहरी क्षेत्र के सभी वार्डों में इन पाठशालाओं का आयोजन शुरू हुआ। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और साथिन द्वारा चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञों की देखरेख में गर्भधारण से बच्चे के दो वर्ष के होने तक रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में जागरुक किया जा रहा है। साथ ही संस्थागत प्रसव, गर्भावस्था के दौरान पोषण, आवश्यक जांचें, टीकाकरण आदि की जानकारी दी जाती है।
अभियान के तहत अब तक ऐसी 13 हजार 107 पाठशालाएं आयोजित की गई हैं। इस दौरान 2 लाख 66 हजार 234 महिलाओं से सीधा संवाद हुआ है। इन बैठकों में 81 हजार 863 गर्भवती और 1 लाख 6 हजार 837 किशोरियों को आवश्यक मार्गदर्शन दिया गया। इन पाठशालाओं में अब तक आयरन की 8 लाख 3 हजार 788 गोलियां वितरित की गई हैं। वहीं लगभग 82 हजार टेबलेट शिविर के दौरान ही खिलाई गई।