ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस की राह  में आगे बढ़ रहा राजस्थान

 

क्षेत्रीय अधिकारीयों के अधिकार क्षेत्र में किया गया विस्तार, एमएसएमई उद्योगों को दी गयी विशेष राहत
उद्योगों के संचालन एवं सुलभता के लिए  ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस के लिए हर कदम ऐतिहासिक : अध्यक्ष, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। राजस्थान  ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस की राह में लगातार आगे बढ़ रहा है।  फिर चाहे वो सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज एवं लघु उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए नियमों में शिथिलता हो या फिर उद्योगों की स्थापना के लिए बनते नए नियम और योजनाएं। निवेश एवं निवेशकों को आकर्षित करते राजस्थान में राज्य सरकार के लिए भी ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस अब महत्वपूर्ण प्राथमिकता बन चुकी है।  यही कारण  है कि राज्य में  उपलब्ध संसाधन एवं ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस के कारण  लगातार निवेशक आकर्षित हो रहे है और  इसी को मध्यनजर रखते हुए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा भी उद्योगों के संचालन एवं सुलभता को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय अधिकारीयों के क्षेत्राधिकारों में विस्तार किया जा रहा है।

राजस्थान  राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अध्यक्ष श्री शिखर अग्रवाल ने बताया कि आम जन एवं हितधारकों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए वो तमाम प्रयास किये जा रहे  है, जिनसे राज्य में उद्योगों की स्थापना एवं सञ्चालन  की राह आसान बन सके।  उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय अधिकारियों को क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाली एमएसएमई  इकाइयों को जल अधिनियम और वायु अधिनियम के तहत प्रदूषण नियंत्रण मंडल की अनुमति के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं करने की शक्तियां सौंपी गयी है।  जिससे उद्यमियों को मुख्यालय से अनुमति नहीं लेनी होगी एवं समय व क्ष्रम की बचत के साथ उद्योग स्थापना की राह के आसान रास्ते खुल सकेंगे। वही क्षेत्रीय स्तर पर उद्योगों के सुगम संचालन से रोजगार के अवसरों को एक नयी राह मिल सकेगी।

राजस्थान  राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव श्री विजय एन द्वारा जारी आदेशानुसार क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में स्थित उद्योगों के लिए राज्य बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारों में एमएसएमई उद्योगों को प्रोत्साहन एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विस्तृत किया गया है।  जिसके तहत अब वे सभी उद्योग/परियोजनाएं/प्रक्रियाएं/गतिविधियां जो की हरित श्रेणी के अंतर्गत आती है साथ ही 20,000 वर्ग से अधिक की भवन एवं निर्माण परियोजनाएँ, टाउनशिप और क्षेत्र विकास परियोजना 5 हेक्टेयर और अधिक / आवास इकाइयां, फल और सब्जी प्रसंस्करण, खाद्य योजक (बड़े पैमाने पर) सहित खाद्य और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ को छोड़कर ऑरेंज श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सभी उद्योग एवं लाल रंग की क्ष्रेणी में चयनित इकाइयों में 25 हैक्टर तक की माइनिंग लीज, माइनिंग लीज क्षेत्र में  क्रेशर्स के साथ अन्य  शामिल है. उपरोक्त से सम्बंधित प्रभावी आदेश जारी कर विस्तृत गाइडलाइन्स जारी कर दी गयी है।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में 10 करोड़ से अधिक  फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, प्रिंटिंग इंक, फर्टिलाइज़र्स, फार्मूलेशन ऑफ़ पेस्टिसाइड्स,फार्मास्युटिकल्स और स्क्रैपिंग सेंटर्स स्थापित एवं संचालित करने के लिए मुख्यालय से सम्मति प्राधिकरण लेना होता था।  अब यह सम्मति प्राधिकरण का अधिकार क्षेत्रीय अधिकारीयों को दे दिया गया है। निश्चित तौर पर इस महत्वपूर्ण कदम के बाद राज्य में क्षेत्रीय स्तर पर निवेश में वृद्धि के साथ सस्टेनेबल औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिल सकेगा।

पर्यावरण निगरानी एवं निरीक्षण के नियमों में भी किया गया बदलाव

सदस्य सचिव श्री विजय एन द्वारा जारी एक अन्य आदेशानुसार लघु उद्योग एवं कम प्रदूषण उत्सर्जन वाली इकाइयों को निगरानी एवं निरीक्षण के नियमों में वृहद स्तर पर बदलाव किया गया है। जिसके अंतर्गत टेक्सटाइल सेक्टर, हेल्थ केयर फैसिलिटीज, सीमेंट प्लांट्स,पावर प्लांट्स, माइंस सीईटीपी एवं एसटीपी सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों के प्रदूषण उत्सर्जन के आधार पर निरीक्षण नियम तय किये गए है। अब सीईटीपी(Common Effluent Treatment Plant)  एवं एसटीपी (SewageTreatment Plant) का निरीक्षण मासिक किया जायेगा जो की पूर्व में त्रैमासिक था। वही अत्यधिक प्रदूषणकारी 17 श्रेणी उद्योग का निरीक्षण त्रैमासिक होगा साथ ही लाल श्रेणी (17 श्रेणियों के अलावा) (बड़े पैमाने पर) अर्धवार्षिक, लाल श्रेणी (17 श्रेणियों के अलावा) (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) वार्षिक,उद्योग की नारंगी श्रेणी (बड़े पैमाने पर) वार्षिक,नारंगी श्रेणी (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) दो वर्ष में एक बार एवं हरित श्रेणी उद्योगों का आवश्यकता के अनुसार निगरानी एवं निरीक्षण किया जायेगा।  यह निरीक्षण एवं नमूनाकरण/निगरानी आमतौर पर राज्य बोर्ड के तकनीकी एवं वैज्ञानिक अधिकारियों की संयुक्त टीम द्वारा किया जायेगा।

राज्य में प्रदूषण निगरानी के लिए प्रयोगशालाओं  का भी किया गया विस्तार

राज्य में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा 13 क्षेत्रीय प्रयोगशाला एवं 1 केंद्रीय प्रयोगशाला के माध्यम से वायु, ध्वनि, पानी,मृदा, खतरनाक अपशिष्ट के प्रदूषण तत्वों एवं स्तर पर निगरानी रखी जा रही थी. सदस्य सचिव श्री विजय एन द्वारा जारी एक अन्य आदेशानुसार अब राज्य में 13 क्षेत्रीय प्रयोगशाला एवं 1 केंद्रीय प्रयोगशाला के साथ  MOEF&CC द्वारा अधिसूचित और NABL द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएँ,राजस्थान राज्य सरकार/पीएसयू/बोर्ड/निगम की प्रयोगशालाएं, राजस्थान में केंद्र सरकार/पीएसयू/बोर्ड/निगम की प्रयोगशालाएं और राजस्थान में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रयोगशालाओं की भी विश्लेषण रिपोर्ट स्वीकार की जाएगी। इससे राज्य में प्रदूषण निगरानी  में पारदर्शिता के साथ वृहद स्तर पर कार्य हो सकेगा साथ ही अब हितधारकों और आम जनता को प्रदूषण मापन एवं विश्लेषण के लिए सरकारी दरों पर अन्य विकल्प भी उपलब्ध हो सकेंगे।