राजस्थानी नूतन काव्य बीकैजी रो बीकाण का हुआ लोकार्पण

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। राजस्थान साहित्य चेतना मंच की ओर से आयोजित वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मी नारायण आचार्य का राजस्थानी नूतन काव्य बीकैजी रो बीकाण का लोकार्पण धरणीधर सभागार में हर्षो-उल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। राजस्थान साहित्य चेतना मंच के अध्यक्ष जुगल किशोर पुरोहित है।लक्ष्मी नारायण आचार्य की इस कृति में बीकानेर रियासत के उन विषयों पर प्रकाश डाला गया है जो कि अब तक आमजन से अछूते रहे है। ये पुस्तक बीकानेर के अतीत का पथ-प्रदर्शन करती है। आचार्य ने लोकार्पण के दौरान अपनी राजस्थानी कविताओं का वाचन भी किया। साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न आचार्य को ( बंधु ) भी कहते है आपने कवि चौपाल में अपनी कविताओं का वाचन किया है। जानकी नारायण श्रीमाली कार्यक्रम में वरिष्ठ अतिथि थे। पिछले 30 वर्षों से राती घाटी पर शोध कर रहे और राती घाटी युद्ध पर लोकप्रिय पुस्तक लिख चुके कथाकार एवं संस्कृतिकर्मी जानकी नारायण श्रीमाली ने बताया कि अतीत हमारी जड़ है और जब कलमकार इतिहास की गवाही देती घटनाओं पर लेखन करें तो ये एक सुखद अनुभूति हो जाती है इसलिए लक्ष्मी नारायण आचार्य ( बंधु ) को इनके नूतन राजस्थानी पद्य काव्य के लिए मैं ढेरों बंधाईयाँ देता हूँ। जानकी नारायण श्रीमाली ने बीकानेर के राती-घाटी युद्ध के विषय पर भी अपने विचार रखें उन्होंने कहा कि बीकानेर शासक राव जैतसी और कामरान ( बाबर का बेटा ) के मध्य युद्ध हुआ था जिसमें कामरान परास्त हुआ। उस वक्त पश्चिमी सीमा को मुगलों के आतंक से जैतसी ने मुक्त करवाया । बीकानेर में आज भी इतिहासकार एवं साहित्य प्रेमी इसे विजय दिवस के रूप में मनाते है। शिवराज छंगाणी ( अध्यक्ष राजस्थानी भाषा एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के कर कमलों से बीकैजी रो बीकाण कृति का लोकार्पण हुआ। अस्वस्थ होने पर भी कृति लोकार्पण कार्यक्रम में उपस्थित होना छंगाणी के साहित्य प्रेम को दर्शाता है। जुगल किशोर पुरोहित ( वरिष्ठ कथाकार/ साहित्यकार ) ने गरिमामयी शब्दों से आच्छादित मंच संचालन किया जो सहजता का दुशाला ओढ़े अपने संस्कारों का परिचय दे रहा था। मधुर वाणी मंच संचालन के अतिरिक्त पुरोहित ने कार्यक्रम को क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित रखा एवं समय की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए कम समय में कार्यक्रम सम्पन्न किया। रंगा राजस्थानी राहुल ने
• लोकार्पणकर्ता शिवराज छंगाणी [ अध्यक्ष राजस्थानी भाषा एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर मुख्य अतिथि जानकी नारायण श्रीमाली [ राती-घाटी शोध संस्थान ]
• एवं कृति कलमकार लक्ष्मी नारायण आचार्य का माल्यार्पण एवं शाॅल ओढाकर स्नेहमयी सम्मान किया वहीं नेमचंद गहलोत को भी प्रतीक चिह्न एवं राजस्थानी साफा पहनाकर स्वागत किया। विशिष्टअतिथि नेमचंद गहलोत ने लक्ष्मी नारायण आचार्य का कवि चौपाल की ओर से सम्मान किया। स्वागत भाषण रेखा आचार्य व्याख्याता विधि विभाग डूँगर कालेज ने दिया। डा0 कृष्ण लाल विश्नोई और यश आचार्य युवा आर्टिस्ट ने भी कृति पर विचार प्रकट किए और आभार अजय शंकर आचार्य ने व्यक्त किया।
प्रेम नारायण व्यास, मदन व्यास, गिरिराज हर्ष, रवि विश्नोई, शुशील छंगाणी, केदारनाथ आचार्य, विजय शंकर आचार्य, हरिकिशन व्यास, के के व्यास, बबला महाराज
इत्यादि साहित्य-अनुरागी उपस्थित रहे ।