विनय एक्सप्रेस समाचार, श्रीगंगानगर। पशु विज्ञान केंद्र सूरतगढ़ के द्वारा डेयरी पशुओं मे टीकाकरण एवं कर्मी नाशक दवा का महत्व विषय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ0 राजकुमार बेरवाल ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़े सभी पशुपालकों का स्वागत व्यक्त कर पशुओं में टीकाकरण एवं कृमि नाशक दवा का शेड्यूल पूरे विस्तार से बताया तथा डॉ बेरवाल ने बताया की मनुष्यों की भांति पशुओं में भी रोग प्रतिरोधक प्रतिरक्षा हेतु टीकाकरण अत्यंत आवश्यक ह,ै जो पशु को विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए सुरक्षा कवच प्रदान करता है साथ ही उन्हें विभिन्न रोग कारक सूक्ष्म जीवों जैसे जीवाणु, विषाणु, परजीवी प्रोटोजोआ, कवक के संक्रमण से लड़ने के लिए भी तैयार करता है।
केंद्र के डॉ0 अनिल घोड़ेला ने बताया की संक्रामक रोग बहुत ही घातक होते हैं जिन से एक ही समय में बहुत बड़ा पशुधन घनत्व प्रभावित हो सकता है। संक्रामक रोगी पशु से किसानों को अत्यधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि इनसे कई बार पशु की दो-तीन दिन में ही मृत्यु हो जाती है असंक्रामक रोग एक पशु से दूसरे पशु में संचारित नहीं होते विभिन्न जाति के पशुओं में विभिन्न प्रकार के टीके और बूस्टर डोज का उद्देश्य शरीर में उचित मात्रा में प्रतिरोधक क्षमता लगातार बनाए रखना है।
केंद्र के डॉ0 मनीष कुमार सेन ने बताया पशुओं में विभिन्न प्रकार के बीमारियां जैसे खुरपका मुंहपका, गलघोटू, चेचक, फिड़किया, ब्यूसेलोसिस, थीलेरियोसिस एंथ्रेक्स, लंगड़ा बुखार इत्यादि बीमारियों के टिके लगवाना पशुपालकों को आवश्यक है। पशुओं का बरसात के मौसम में रोगों से बचाने के लिए उचित प्रबंधन करना चाहिए तथा उचित समय पर पशुओं का टीकाकरण करा देने से कई लोगों से पशुओं को संक्रामक तथा खतरनाक जूनोटिक रोगों से बचाया जा सकता है। प्रशिक्षण शिविर में पशु विज्ञान केंद्र के द्वारा लेबोरेटरी में संचालित दूध, मूत्रा, गोबर, खून, ब्यूसेलोसिस की निशुल्क जांच के बारे में विस्तार से बताया इस प्रशिक्षण शिविर में कुल 40 पशुपालकों ने भाग लिया।