श्री भक्तामर पूजन व अभिषेक विधान-मन को पवित्र बनाने की कला धर्म व परमात्म भक्ति में-साध्वीश्री मृगावती

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में चल रहे भक्तामर पूजन व अभिषेक में बुधवार को साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के नेतृत्व में उदयरामसर के विमल बोथरा, नीरज बोथरा, वयोवद्ध श्रावक पन्नालाल बोथरा, सरला बोथरा, श्रीमती सरला कोचर व श्रीमती विमला कोचर पत्नी सुप्रसिद्ध गायक मगन कोचर परमात्मा आदिनाथ की पूजा व अभिषेक ’’ रक्ष-रक्ष जिनेश्वर, आदिनाथ परमेश्वर’, नवंकार महामंत्र सहित विभिन्न कल्याणकारी मंत्रों के साथ की।


साध्वीश्री मृगावती ने प्रवचन में कहा आधुनिकता के इस युग में विज्ञान ने सभी सुख सुविधाओं को बढ़ाया है लेकिन मलिन मानव मन को निरोग व पवित्र बनाने की मशीन का अविष्कार नहीं किया है। मानव मन को पवित्र व निर्मल बनाने की कला धर्म व परमात्म भक्ति में है। धर्म, भक्ति व परमात्मा के प्रति श्रद्धा बिना मानव जीवन व्यर्थ है। भक्तामर की एक-एक गाथा में परमात्मा के प्रति समर्पण भक्ति का संदेश है, वहीं उसकी गाथाएं मंत्राक्षर के रूप में है। त्रिलोकीनाथ परमात्मा के बाह््य स्वरूप् के साथ आतंरिक वैभव भी अनन्य श्रद्धा व भक्ति से साधक को सम्यक ज्ञान, दर्शन व चारित्र के मार्ग को बढ़ाने वाला है।


उन्होंने सुर सुन्दरी के कथानक के माध्यम से बताया कि हमें देवालयों, जिन मंदिरों व साधु-साध्वियों की असातना, बुराई व निंदा नहीं करनी चाहिए। परमात्मा, महात्माओं व महापुरुषों की निंदा करने से पाप कर्म बंधन होता है। कर्म बंधन के कारण श्रावक-श्राविका को पाप-पुण्य का फल कई बार तुरंत मिल जाता है। उन्होंने कहा कि हमें हमारे अंतःकरण में व्याप्त चैतन्य, चिदानंद परमात्मा स्वरूप् को प्रतिष्ठित करने के लिए साधना, आराधना व भक्ति करनी चाहिए।