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विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय की अनुसंधान उपलब्धियों की समीक्षा एवं आगामी कार्य योजना निर्धारण के लिए अनुसंधान सलाहकार समिति की दो दिवसीय बैठक गुरुवार को प्रारम्भ हुई।
बैठक में निदेशक (अनुसंधान) डॉ. पी. एस. शेखावत ने वर्ष 2020 की बैठक की सिफारिशों और उनकी क्रियान्विति पर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जलवायु परिवर्तन को सहन करने वाली नई फसल किस्मों के चयन, संरक्षित खेती, सूक्ष्म सिंचाई, कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर कार्य कर रहा है। इस बैठक में बांदा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश के कुलपति प्रोफेसर एन. पी. सिंह, उत्तर प्रदेश काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च, लखनऊ, के महानिदेशक प्रोफेसर संजय सिंह तथा प्रगतिशील किसान मोहन सिंह, गाँव नालबड़ी विशिष्ट अतिथि थे। बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय का प्रत्येक वैज्ञानिक कम से कम एक नई अनुसंधान परियोजना से जुड़े तथा किसानोपयोगी उत्पाद पर कार्य करे, जिससे किसान की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो।
डॉ. एन. के. पारीक ने बीकानेर संभाग के गत 26 वर्षों के जलवायु संबन्धित आंकड़े प्रस्तुत किए, जिसके अनुसार अब बीकानेर की वार्षिक औसत वर्षा 297.9 मिमी है। डॉ. विजय प्रकाश, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान कृषि अनुसंधान केंद्र श्रीगंगानगर ने वर्ष 2021 तथा 2022 के कृषि शोध आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि श्रीगंगानगर केंद्र पर नॉन बीटी कपास की 3 व चने की दो किस्मों का विकास किया गया। श्रीगंगानगर द्वारा विकसित चने की किस्मों की भारत में लगभग 24% मांग है। डॉ. एस. आर. यादव, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि केंद्र द्वारा गत 2 वर्षों में 19 सुझाव आधारित परीक्षण किए गए जिनका लाभ किसानों को मिल रहा है। उन्होंने केंद्र के बीज उत्पादन कार्यक्रम, फसल उत्पादन तकनीकों तथा लवणीय जल पर की जा रही अनुसंधान गतिविधियों के बारे में बताया। डॉ. एन. के. शर्मा, अतिरिक्त निदेशक राष्ट्रीय बीज परियोजना ने अपने प्रतिवेदन में विश्वविद्यालय पर बीजों की उपलब्धता तथा बीज उत्पादन के भावी कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। बैठक में बीकानेर तथा श्रीगंगानगर स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने अपने शोध कार्य का प्रस्तुतीकरण दिया। परिचर्चा सत्र के दौरान प्रो. एन. पी. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय कम पानी चाहने वाली फसलों पर शोध करे। प्रो. संजय सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय अपना बीज उत्पादन कार्यक्रम किसानों की मांग के अनुरूप बनाएं। प्रगतिशील किसान मोहन सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विभाग की अनुसंधान गतिविधियों से उन्हें बहुत लाभ मिला है। ये शोध किसानो के लिए बहुत उपयोगी हैं। बैठक के अंत में डॉ. पी.सी. गुप्ता, अतिरिक्त निदेशक अनुसंधान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मंजु राठौड तथा डॉ. बी. डी. एस. नाथावत ने किया।