देहदानी श्रीनिवास शर्मा का निधन : परिजनों ने चिकित्सा क्षेत्र में अध्ययनरत विद्यार्थीयों के शोध हेतु मेडिकल कॉलेज को सुपूर्द किया पार्थीव शरीर

मेडिकल स्टूडेंण्ट्स के लिए साक्षात ईश्वरीय स्वरूप होते है देहदानी : प्रचार्यडॉ. गुंजन सोनी

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। बीकनेर में आजकल बुद्धिजीवी वर्ग देहदान के प्रति जागरूक होता जा रहा है, मेडिकल सांइस में विद्या अर्जित करने वाले विद्यार्थियों के शोध हेतु देहदान के प्रति बढ़ती सजगता निश्चित रूप से स्टूडेण्ट्स के लिए एक वरदान प्राप्त होने जैसा है, शहर के रानी बाजार चौपड़ा कटला के पीछे रहने वाले श्रीनिवास शर्मा के निधन पर उनकी इच्छा अनुरूप उनकी देह का दान सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के एनाटोमी विभाग में दिनांक 12 दिसम्बर, 2022 को किया गया । सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गुंजन सोनी ने बताया कि श्रीनिवास शर्मा जी ने जीवन के अंतिम पड़ाव से पूर्व ही देह को दान करने का संकल्प लिया जो की मेडिकल स्टूडेण्स के लिए ईश्वरीय स्वरूप के समान है। श्री शर्मा की पार्थिव देह से चिकित्सा विज्ञान का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को शोध और प्रायोगिक अध्यापन कार्य में लिया जयेगा। प्राचार्य डॉ सोनी ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने तथा समाज सेवा के पुनीत कार्य हेतु परिजनो का शुक्रिया अदा किया। इस अवसर पर एनाटोमी विभाग के डॉ मोहन सिंह, डॉ राकेश मणि, डॉ जसकरण, डॉ कविता व विभाग के कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

शर्मा के पुत्र पायोनियर अशोक कुवेरा एवं शाकद्वीपीय ब्राह्मण बंधु चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष आर के शर्मा ने बताया कि ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी श्रीनिवास शर्मा ने जीवन पर्यन्त समाज सेवा की वहीं तन, मन व धन से हर संकल्प को पूरा किया । जीवन के अंतिम पड़ाव से पूर्व ही उन्होने अपने देह को भी दान करने का संकल्प लिया जिसका सभी परिजनों ने समर्थन किया ।  मृत्यु भोज को उन्होने कभी प्रोत्साहन नहीं दिया व पत्नी, पुत्रवधू और पुत्री के निधन पर तीसरे दिन ही उठावना कर दिया ।  इसी परिपाटी पर इनके पुत्र ने भी तीसरे दिन 14 दिसम्बर को सांय 5 बजे ही उठावना कर आगे कोई परपंरा का निर्वहन नहीं करने का निर्णय लिया गया ।इस अवसर पर डा. के आर मीणा ने कहा कि ब्रह्मर्षि दघीची ने देवताओं के कहने पर अपनी देहदान की थी जो सबसे महान माना गया लेकिन इस युग में स्वेच्छा से देहदान करने वाला का स्थान सबसे ऊपर है । उन्होने बताया कि एक देह से हजारों चिकित्सकों को अध्ययन में सहयोग मिलता है और उसके बाद भी उनकी हडिडयों व दांतों को भी सहेजा जाता है जो हजारों वर्षो तक आगे आने वाली पीढ़ी के अध्ययन में काम आती है । आज के युग में जहां देहदान में लोग आगे आ रहे है वहीं नये मेडिकल कॉलेज के छात्रों के अध्ययन के लिये देह की आवश्यकता भी बढ़ रही है ।  इस अवसर पर उनके पौत्र रूचित, कार्तिक, दामाद महेशदास भोजक, मदन लाल सेवग, सत्यदेव शर्मा, देवेन्द्र शर्मा, चन्द्रकांत, निर्मल शर्मा, चन्द्रशेखर शर्मा, विनोद शर्मा, दीपक शांडिल्य, नरोत्तम, रमेश वर्मा, मनीष सूद, चौरूलाल सुथार, डा. ओम कुवेरा, शरद शर्मा, आर के शर्मा, रूपकुमार पुरोहित, नवरतन डोयल, लोकेश, चिन्मय, मनीष सेवग सहिन स्नेहीजन साक्षी बने ।