न्या्यिक प्रकरणों के त्वतरित निस्तारण में पीठासीन अधिकारी एवं अभिभाषकगण की भूमिका अहम -राजेश्वर सिंह
विनय एक्सप्रेस समाचार, अजमेर। राजस्व मण्डल अध्य्क्ष श्री राजेश्वर सिंह ने कहा कि राजस्व न्यायालयों में न्या्यिक प्रकरणों के त्वरित निस्तारण में पीठासीन अधिकारी एवं अभिभाषकगण को अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है। श्री सिंह बुधवार को राजस्व मंडल की ओर से ‘‘राजस्थान मिशन 2030 अभियान‘‘ के तहत महत्वपूर्ण सुझावों एवम चर्चा को लेकर हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) की राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रकरणों के निर्बाध एवं त्वरित निस्तारण में पीठासीन अधिकारी एवं अभिभाषकगण की भूमिका अहम है, ऐसे में कानूनी प्रक्रिया का सर्वहित में उपयोग करते हुए समय पर निर्णय पारित किये जाने चाहिए।
श्री सिंह ने कहा कि निर्णय तनकीवार व पूर्ण गुणावगुण आधार पर दिये जाने चाहिये इससे भविष्य में अनावश्यक न्यायिक विवादों की स्थिति नहीं बनेगी। मण्डल अध्यक्ष ने कहा कि अधीनस्थ विचारण न्यायालयों में जहां पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रकरण स्थानान्तरण का आवेदन प्रस्तुत हो वहां अविलम्ब उच्चााधिकारियों को प्रकरण स्थानान्तकरण कि प्रक्रिया अमल में लाई जानी चाहिए ताकि पक्षकारों में न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास कायम हो सकें।
उन्होंने कहा कि राजस्थान मिशन 2030 के लिए आयोजित इस कार्यशाला में सभी ने अपनी दीर्घ अनुभव के आधार पर उपयोगी सुझाव दिये हैं। न्याय प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए राजस्व मण्डल के स्तर पर एक कमेटी गठित की जायेगी, जो अपने उपयोगी सुझाव देगी।
मंडल निबन्धक श्री महावीर प्रसाद ने कार्यशाला के दौरान राज्य में प्रचलित राजस्व अधिनियमों/नियमों में सुधार या नवीन प्रावधानों के सम्बन्ध में उपयोगी सुझाव देने पर सभी का आभार जताया।
कार्यशाला में राजस्थान विजन 2030 को लेकर वक्ताओं ने काश्तकारी अधिनियम एवम भू राजस्व अधिनियमों में समयानुसार आवश्यक संशोधन किए जाने, हक त्याग, गिफ्ट डीड के प्रकरणों विरासत के नामांतरणों आदि में दुरुपयोग की स्थिति को रोकने, नवीन राजस्व मंडल भवन का निर्माण, राजस्व न्यायालयों में सुधार के लिए नवाचारों को सतत बनाये रखने, राजस्व मण्डल के मौलिक स्वरूप को यथावत रखे जाने, राजस्व रिकार्ड के जिला स्तर पर अद्यतन किये जाने की बात कही।
इसी के साथ राजस्व न्यायालयों की बेहतरी के लिए रेवेन्यू ज्यूडिशियल सर्विस की स्थापना, कोर्ट्स में मुकदमो के शीघ्र निस्तारण हेतु प्रभावी कार्ययोजना, लोक अदालतों में अधिवक्ताओं की सकारात्मक भूमिका से अधिकाधिक प्रकरणों के निस्तारण की अपेक्षा सहित अन्य उपयोगी सुझाव रखे गए।
आरम्भ में उप निबन्धक श्रीमती सुनीता यादव ने पॉवर प्वााइंट प्रेजेंटेशन के तहत राज्य में राजस्व इकाइयों के सृजन सहित मण्डल की विविध शाखाओं की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यशाला में सदस्य गणेश कुमार, श्रवण कुमार बुनकर,अविनाश चौधरी,सुरेंद्र पुरोहित,सुधीर माहेश्वरी, भवानी सिंह पालावत, राकेश कुमार शर्मा, भँवर सिंह सांदू, पूर्व सदस्य केके शर्मा, जेपी शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल, ओंकार लाल दवे, राजेन्द्र प्रसाद शर्मा, सतबीर सिंह सिद्धू, सोहनपाल सिंह चौधरी, हगामीलाल चौधरी, पारीक, मनीष पांड्या, अतिरिक्त निबन्धक श्रीमती प्रिया भार्गव, एएलआर रामेश्वर सिंह लखावत, उप निबन्धक संजू मीणा, आरआरटीआई प्राचार्य श्रीमती ऋषिबाला श्रीमाली, तहसीलदार शंकर लाल, पूर्व आरएएस सुरेश सिंधी सहित अन्य विषय विशेषज्ञ व अधिकारीगण उपस्थित थे।
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