प्रस्तावित विधेयकों पर हितधारकों से चर्चा, राज्य सरकार का मकसद बंदिशें लगाना नहीं, मिलजुल कर समस्याओं का समाधान करना है -उच्च शिक्षा राज्य मंत्री

विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा है कि राज्य सरकार की मंशा निजी शिक्षण संस्थानों एवं कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर बंदिशें लगाने की नहीं है वरन इस सम्बन्ध में प्रस्तावित विधेयकों का उद्देश्य सिस्टम को दुरुस्त करना एवं मिलजुल कर समस्याओं का समाधान करना है।

श्री यादव प्रस्तावित राजस्थान निजी शिक्षण संस्थान विनियामक प्राधिकरण विधेयक, 2023 एवं द राजस्थान इंस्टीट्यूट्स (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल, 2023 के सम्बन्ध में शुक्रवार को शिक्षा संकुल सभागार में हितधारकों के साथ अलग-अलग रुप से आयोजित बैठकों की अध्यक्षता कर रहे थे। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ रहा है, सिस्टम को व्यवस्थित करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। प्रस्तावित दोनों विधेयक समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के सुझाव लेने का मकसद इन विधेयकों को और बेहतर बनाना है।

राजस्थान निजी शिक्षण संस्थान विनियामक प्राधिकरण विधेयक, 2023 के सम्बन्ध में आयोजित बैठक में विभिन्न निजी शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव रखे। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ना केवल निजी शिक्षण संस्थानों के लिए बल्कि राजकीय विश्वविद्यालयों में भी गुणवत्ता सुधार के लिए कटिबद्ध है. इन विनियामक संस्थाओं का उद्देश्य सख्ती करना नहीं बल्कि मिलकर समस्याओं का समाधान करना है।

द राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट्स (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल, 2023 के सम्बन्ध में आयोजित बैठक में कोचिंग संस्थान संचालकों, कोचिंग स्टूडेंट्स, अभिभावकों, विभिन्न जिलों के प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों, मनोवैज्ञानिकों एवं वकीलों ने अपने सुझाव रखे। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार संकल्पबद्ध है। कोचिंग संस्थानों की ज्यादा संख्या के दृष्टिगत रेगुलेटरी बॉडी बनाया जाना आवश्यक है।

बैठक में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री भवानी सिंह देथा ने कहा कि विद्यार्थियों और अभिभावकों के हितों को ध्यान में रखते हुए निजी शिक्षण संस्थानों को ट्रस्ट मोड पर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कोचिंग संस्थानों द्वारा दिए जाने वाले भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने, विद्यार्थियों को तनाव से उबारने के लिए माहौल तैयार करने एवं कोचिंग की जवाबदेही तय करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा दोनों विधेयकों के सम्बन्ध में प्रजेंटेशन दिए गए। बैठक में बताया गया कि दोनों विधेयकों के सम्बन्ध में आगामी 2-3 दिवस में लिखित में सुझाव ई-मेल के जरिए दिए जा सकते हैं। बैठक में कॉलेज शिक्षा आयुक्त श्री सुनील शर्मा, राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् के उपाध्यक्ष प्रोफेसर दरियाब सिंह चुण्डावत और सदस्य सचिव प्रो संजय लोढ़ा समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

दिनांक 17-18 जनवरी को आयोजित चिंतन शिविर में माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने जनता से जुडे हुए उक्त दोनों प्रस्तावित विधेयकों को पब्लिक डोमेन पर डालकर स्टेक होल्डर्स से सुझाव आमंत्रित करने व स्टेक होल्डर्स के साथ विचार विमर्श करने के निर्देश दिये थे। माननीय राज्यपाल महोदय ने भी अपने बजट सत्र अभिभाषण में निजी शिक्षण संस्थानों एवं कोचिंग सेन्टरों पर प्रभावी नियंत्रण हेतु कानून बनाने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया है।

प्रस्तावित विधेयक राज्य सरकार के जन घोषणा पत्र के बिन्दू संख्या 7.17, 7.18 दएवं 27.55 के तहत की गई घोषणाओं तथा प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानों पर नियंत्रण हेतु विनियामक आयोग की स्थापना के संबंध में लम्बे समय से चली आ रही मांग को दृष्टिगत रखते हुए लाये जा रहे हैं।

बैठक के अंत में स्टेक हॉल्डर्स से अनुरोध किया गया कि वे अपने लिखित सुझाव उच्च शिक्षा विभाग को दो दिवस में प्रस्तुत कर सकते है।