विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। स्वदेशी सप्ताह के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रम में शारदा बाल निकेतन विद्यालय में श्री राजाराम जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला प्रौढ प्रमुख श्रीमान प्रहलाद जी भाटी ने स्वदेशी
वस्तुओं के अधिक से अधिक उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।
स्वदेशी सप्ताह में लोगों तक स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग से होने वाले लाभ की जानकारी पहुंचाकर इसके लिए जाग्रत करना जरूरी है। साथ हम स्वदेशी वस्तुओं की सूची आम लोगों तक पहुंचायेंगे तो सभी लोग स्वदेशी वस्तुएं खरीदेंगे। अपने देश में निर्मित वस्तु हम खरीदते हैं तो उस वस्तु से होने वाला लाभांश और समस्त धन हमारे देश में ही रहता है तथा उस वस्तु के लिए उत्पादित कच्चे माल से अंतिम उत्पादन तक जुड़े सभी लोग हमारे देश के हैं अत: उनसे होने वाली आय हमारे समाज और देश में ही रहती है। इसके स्थान पर जब हम विदेशी वस्तु खरीदते हैं तो वह कम्पनी हमारे देश में रहने वाले कर्मचारियों को वेतन देकर शेष आय विदेश में ले जाती है। जब किसी दूसरे देश के नागरिक हमारे यहाँ पर रहकर काम करते है तो अपने वेतन का कुछ भाग दैनिक उपयोग खर्च करते हैं, शेष अपने परिवार वालों के लिए अपने देश में भेज देते है ठीक वैसे ही जैसे हमारे देश के नागरिक विदेश में रहकर धन कमाते हैं उसमें से अपने दैनिक उपयोग के आवश्यक खर्च के बाद शेष धन अपने परिवार के लोगों को भेज देते हैं। इससे हमारे समाज की आय और राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।
हमारे समाज में स्वदेशी आन्दोलन से आमजन को जाग्रत करने की जरूरत है जिससे लोगों के व्यवहार में इसे अपनाने में सहायता मिलेगी। क्रेता और विक्रेता दोनों को स्वदेशी वस्तुओं की जानकारी, देकर इसको बढ़ावा देने के लिए शिक्षित लोगों का आगे आना पड़ेगा। धीरे-2 यह अभियान सर्वव्यापी हो जायेगा। स्वदेशी का उपयोग भी देश सेवा का माध्यम बन सकता है।
हमारे सूचना पट्ट व अन्य माध्यमों से स्वदेशी उत्पादों की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचे यह काम बालकों के माध्यम से अच्छी तरह से हो सकता है ।विद्यार्थी को ज्ञान होगा तो घर पर भी एक वातावरण का निर्माण करेगा, जिससे बालक बड़ों से स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिए कहेंगे तो इसका अधिक प्रभाव पड़ेगा। धीरे-धीरे यह स्वभाव में आ जायेगा। अधिकांश स्वदेशी वस्तुएं सस्ती एवं गुणवता पूर्ण होती है यदि कुछ अपवाद स्वरूप, महंगी है तो भी उसका लाभ हमारे देश और समाज के लोगों की ही मिलेगा। अपने दैनिक उपयोग की वस्तुएं अपने पड़ौस की दुकान से लेंवें नहीं तो स्थानीय बाजार जाकर खरीद सकते है लेकिन ऑन लाइन, मल्टीनेशन कम्पनी से जब हम खरीददारी करते है तो वे कम्पनियाँ अपनी आय विदेश ले जाती है। आपदा के समय या समाज एवं देश की विपरीत परिस्थिति में कभी भी हमारे देश में कोई योगदान या सहायता नहीं देती है। ठीक इसके विपरीत जब हमारे देश की उत्पादन कम्पनियाँ को लाभ होता है या व्यक्तिगत आय होती है तो ये देश और समाज में आपात काल में आमजन की सहायता करते है। इसका सबसे उच्च्छा उदाहरण कोरोना काल में देखने में आया। उस समय भोजन राशन दवा वस्त्र आदि सभी आवश्यक सेवाओं में समाज के भामाशाहों ने मुक्तहस्य से दान दिया। खुले हाथ
से दान दिया।
सामान्य परिस्थितियों में भी सार्वजनिक हित के कार्यो में भामाशाहों का योगदान सराहनीय रहता है। अत: स्वदेशी अपनाने में हम सब का ही लाभ है इससे देश और समाज को आगे बढ़ाने में सहायता मिलती है।