कालीबंगा सभ्यता के वास्तविक खोजकर्ता टेस्सीटोरी थे-प्रो. नयनजोत लाहिड़ी

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के अंतर्गत राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान बीकानेर कला एवं संस्कृति विभाग राजस्थान सरकार द्वारा अग्र बंधु ट्रस्ट कोलकाता के सहयोग से सुनी-पढी-लिखी श्रृंखला के अन्तर्गत आज दिनांक 19.12.2022 को प्रतिष्ठान परिसर में व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसकी मुख्य वक्ता इनफोसिस पुरस्कार प्राप्तकर्ता प्रो. नयनजोत लाहिड़ी, अशोका यूनिवर्सिटी, सोनीपत रही।

उनके उद्बोधन का विषय “एल.पी.टेस्सीटोरी -भूले बिसरे नायक की खोज“ रहा। इस उद्बोधन में उन्होनें एल.पी.टेस्सीटोरी के जीवन परिचय का उल्लेख करते हुवे पुरातत्व के क्षेत्र में कालीबंगा सभ्यता स्थल खोजने का श्रेय उन्हें देते हुवे उनके द्वारा राजस्थानी भाषा के साहित्य को एकत्रित करने एवं उसकी ऐतिहासिक महत्ता को स्थापित करने में दिये योगदान को साझा किया। उन्होने बताया कि अलेक्जेंडर कनिंघम को सभ्यता के खोजने का श्रेय जाता है वास्तविकता में इसके असली हकदार टैस्सीटोरी थे।

यदि टेस्सीटोरी और जीवित रहते तो इस खोज के असली उत्खननकर्ता होते। प्रो. लाहिड़ी ने बताया कि कालीबंगा से प्राप्त मोहरों का ज्ञान भी टैस्सीटोरी के साथ ही दफन हो गया। इस व्याख्यान में भारत के विभिन्न राज्यों मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, कश्मीर, बंगाल से ऑनलाइन प्रतिभागी भी जुडे़। संस्थान के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी डॉ. नितिन गोयल ने बताया कि इस वार्ता का संचालन ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मोड में किया गया था। जूम प्लेटफार्म पर संचालित इस चर्चा का तकनीकी संचालन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से डॉ. सोनू ने किया। श्री प्रहलाद राय गोयनका के सहयोग से आयोजित इस चर्चा में देश के 10 राज्यों से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया।

बीकानेर से आर्कियोलॉजी एवं एपिग्राफी सोसाइटी के अध्यक्ष प्रो. बी.एल. भादानी, सचिव डॉ. राजेन्द्र कुमार, डॉं. मोहम्मद फारूक चौहान, राजीव हर्ष, राजेन्द्र जोशी, राजेन्द्र स्वर्णकार, डॉ. महेन्द्र पंचारिया, डॉ. नासिर जैदी, डॉ. रजनीरमण झा आदि में प्रतिष्ठान में प्रत्यक्ष रूप से जुडे़। ऑनलाईन प्रसारण प्रतिष्ठान के यूट्यूब के जरिये प्रसारित हुआ। देश के बीस विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने इस व्याख्यान हेतु अपना पंजीकरण करवाया एवं जुडे़।