मुख्य न्यायाधिपति ने किया ’इंटीग्रेटेड साफ्टवेयर सोल्युशन विद ई-प्रिजन’ प्रोग्राम ई-लॉन्च · ऎसा करने वाला राज. उच्च न्यायालय देश का प्रथम उच्च न्यायालय बना

विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय बेंच जयपुर के सभागार में मुख्य न्यायाधीश श्री पंकज मित्थल ने मंगलवार को ’’इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर सोल्युशन विद ई-प्रिजन’’ प्रोग्राम को ई-लॉन्च किया। इससे न्यायालय के प्रकरणों से जुडे़ विचाराधीन बंदियों की सभी सूचना जेल प्रशासन के ई-प्रिजन सॉफ्टवेयर से प्राप्त की जा सकेगी। स्टियरिंग कमेटी के अध्यक्ष न्यायाधीश श्री अरूण भंसाली के मार्गदर्शन में राजस्थान उच्च न्यायालय की तकनीकी टीम ने अल्प अवधि में ही उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायपालिका के समस्त न्यायालयों के लिए इस प्रोग्राम का निर्माण किया गया है।

ई-लाँचिंग कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि ऎसा करने वाला राजस्थान उच्च न्यायालय पूरे देश का प्रथम उच्च न्यायालय बन गया है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के समय से ही कम्प्यूटराईजेशन, डिजीटलाईजेशन, ई-फाइलिंग, पेपरलेस कोर्ट व वर्चुअल सुनवाई के माध्यम से न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में तकनीकी क्रांति आयी है। राजस्थान उच्च न्यायालय की तकनीकी टीम ने राज्य सरकार द्वारा राज्य की विभिन्न जेलों में निरूद्ध बंदियों के लिए बनाये गए ई-प्रिजन सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को न्यायालय में चल रहे केस इन्फोरमेशन सिस्टम सॉफ्टवेयर से इंटीग्रेट करते हुए यह प्रोग्राम बनाया है। कार्यक्रम में न्यायाधीश ने राज्य के समस्त न्यायिक अधिकारियों को विचाराधीन बंदियों के रिमाण्ड व विचारण में उनकी उपस्थिति अधिक से अधिक विडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से करवाने और ऎसे प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण की भी अपील की है।

कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश श्री संदीप मेहता ने जानकारी दी कि इस प्रोग्राम के माध्यम से किसी भी मुकदमे में यदि कोई अभियुक्त जेल में न्यायिक अभिरक्षा भुगत रहा है तो न्यायालय को उसकी समस्त जानकारी तुरन्त उपलब्ध हो जायेगी। ये जानकारी उस मामले के न्यायपूर्ण एवं शीघ्र विनिश्यच के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। इसके अतिरिक्त जेल में अभिरक्षारत अभियुक्त को भी अपने मामले की प्रगति के बारे में पूर्ण जानकारी मिलेगी, जो कि उसका संवैधानिक अधिकार भी है।

कार्यक्रम में एनआईसी के सीनियर तकनीकी निदेशक श्री शशिकांत शर्मा ने प्रोग्राम का ऑनलाईन प्रजेन्टेशन दिया। इस अवसर पर न्यायाधीश श्री मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने अवगत कराया कि इस कार्यक्रम से प्राप्त होने वाली सूचनाओं के आधार पर विचाराधीन कैदियों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दी जाने वाली निःशुल्क विधिक सहायता के मामले में भी काफी सहयोग मिलेगा।

कार्यक्रम में मुख्य पीठ जोधपुर के सभी न्यायाधीश विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सभी अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।