काश कोई ऐसी वैक्सीन बन जाए
जो इन नेताओं के लग जाए..
झूठे वादे झूठे आश्वासन देने कम लग जाए…
चलती फिरती झूठ की दुकान
जैसे बनती है इससे इनकी शान,
जनता से ना लेना देना,
बस चाटुकारिता को पनपाना,
यदि कोई चाटुकार यह कह दे कि चुनाव में इसने किया आप का विरोध…
बस शुरू हो जाए नेता का उस व्यक्ति से गतिरोध…
चुनाव के समय यह दिखाते जनता को मिट्टी के धोरे..
और चुनाव जीतते ही लग जाते करने अपने गाल गोरे( धन संचय)…
जनता का भी है इसमें दोष…
जाति के नाम पर देते अपना वोट परोस…
अब है आवश्यकता कि , एक वैक्सीन ऐसी बन जाए..
जिससे इन नेताओं का जमीर जाग जाए…
काश कोई ऐसी वैक्सीन बन जाए
जो इन नेताओं के लग जाए.. जो इन नेताओं को लग जाये..