विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। जयमल जैन पौषधशाला में गुरुवार को साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि आजकल समभाव का अभाव है। लेकिन इसी समभाव को स्वभाव बनाने से विभाव दूर हो जाता है। जो साधक विषमता से समता की ओर बढ़ता है, वही विकृति को संस्कृति में बदलता है। विषमता विष और समता अमृत है। समता से जीव अमर पद को प्राप्त कर लेता है, वीतराग बन जाता है। परिस्थिति चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल, लाभ हो या हानि, सुख हो या दुख, जन्म हो या मरण, मान हो या अभिमान हर समय समभाव में रहना चाहिए। यह समत्व की साधना जीवन की शांति का एक अद्भुत मंत्र है। कर्म सिद्धांत को जानने वाला साधक समभाव में सहज आगे बढ़ सकता है। क्योंकि वह जानता है कि जो कुछ भी उसे मिल रहा है, वह उसके पाप-पुण्य, शुभ-अशुभ कर्मों के कारण ही मिल रहा है। संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन प्रश्नों के उत्तर मंजूदेवी ललवानी, संगीता ललवानी, सुशीला नाहटा एवं कल्पना ललवानी ने दिए। विजेताओं को सूरजदेवी, मदनलाल सुराणा परिवार की ओर से पुरस्कृत किया गया। रीता ललवानी के तेले तप की तपस्या का बहुमान पांचीदेवी ललवानी ने 4 उपवास की बोली लेकर किया। आगंतुकों के भोजन का लाभ निर्मलचंद चौरड़िया परिवार ने लिया। इस मौके पर बिरजादेवी ललवानी, लीला लोढ़ा, लीला बैद, कंचनदेवी ललवानी आदि उपस्थित थे।
पर्युषण महापर्व 4 से
जैन धर्म के आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण की आराधना 4 सितंबर से जयमल जैन पौषधशाला में प्रारंभ होगी। जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा एवं साध्वी हेमप्रभा के सानिध्य में 4 से 11 सितंबर तक महापर्व की आराधना की जाएगी। पर्युषण आराधना के अंतर्गत पौषधशाला में सूर्योदय पश्चात प्रार्थना होगी। प्रातः 9 से 10:30 बजे तक अंतगड़ सूत्र का वांचन एवं प्रवचन होगा। दोपहर 2 से 3 बजे तक कल्प सूत्र का वांचन किया जाएगा। सूर्यास्त पश्चात पुरुष वर्ग का प्रतिक्रमण पौषधशाला में एवं महिला वर्ग का प्रतिक्रमण रावत स्मृति भवन में होगा। आठ दिन निरंतर प्रातः 6 बजे से सायं 6 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप पौषधशाला में किया जाएगा। संघ मंत्री हरकचंद ललवानी ने बताया कि 11 सितंबर को संवत्सरी मनाई जाएगी। संघ द्वारा ज्यादा से ज्यादा धर्म-आराधना करने का आह्वान किया गया।