डॉ. समित शर्मा : एक ऐसी शख्सित और ऐसे लोकप्रिय अफसर जिनके लिए जनता करती है आन्दोलन और नेता होते है नाराज – पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार अनिल सक्सेना की विशेष रिपोर्ट

विनय एक्सप्रेस व्यक्ति विशेष श्रृंखला : डॉ. समित शर्मा- वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक अधिकारी

Dr. Samit Sharma (Senior IAS)

पब्लिक सर्विसेज के लिए प्रतिबद्ध : वरिष्ठ आई.ए.एस डॉ. समित शर्मा

अनिल सक्सेना : वरिष्ठ पत्रकार एवं इस आलेख के लेखक

विनय एक्सप्रेस, व्यक्ति विशेष आलेख।चित्तौड़गढ में आईएएस डॉ. समित शर्मा की पहली कलेक्टर की पोस्टिंग हो या नागौर में दूसरी । जोधुपर में संभागीय आयुक्त या एनएचएम के एमडी । सभी स्थानों में वे अनुशासन से चलने वाले, नियमों की पाना करने वाले और आमजन के हित के काम करने वाले अधिकारी के रूप में कार्य करते रहे। उनके द्वारा पारदर्शी प्रशासन देने के साथ ही आमजन को मदद करने वाली छवी उन्हे लोकप्रिय बनाती रही। लोकप्रियता के साथ ही अन्य कारणों से कामचोर सरकारी कर्मचारियों और नेताओं को वे खटकने लगे।
राजनीति में वोट की महत्ता होती है और वोट बैंक के कारण सरकार के कई निर्णय प्रभावित होते है। यही कारण है कि योग्य, न्यायप्रिय और समाज व देश के लिए कुछ कर गुजरने के जज्बे को नजर अन्दाज कर कई नेताओं के हितों को साधने का साधन बनकर डॉ. शर्मा जैसे अधिकारियों का समाज हित उपयोग सरकार नहीं ले पाती है । कई घटनाओं से जानाकरी मिलती है कि डॉ. समित शर्मा की योग्यता का भी समाजहित में पूरा उपयोग सरकारें नहीं ले पा रही है। यही कारण है कि दबाव के कारण उनका बार-बार तबादला किया गया और सिस्टम को पूरी तरह सुधारने का मौका ही नहीं दिया गया। शायद ऐसी राजनीतिक बाध्यताए और मजबूरियां ही देश के विकास की राह पर आगे बढ़ने से रोक रही हैं। यदि सरकारें, अधिकारी-कर्मचारी और जनता मिलकर प्रण लें कि हमें सरकारी व्यवस्थाओं और लोक सेवाओं का सुधारना है तो यह संभव है की आम लोगों को सरकारी सुविधाएं सुलभता से मिलने लगे, सरकारी अस्पतालों में भी प्राइवेट हॉस्पिटल की तरह उपचार होने लगे, सराकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई होने लगे, किसानों मजदूरों और गरीब लोगों के लिए बनाई गई सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें बिना चक्कर कटवाए और बिना सुविधा शुल्क के उपलब्ध हो। हमारे देश में भी विदेशों की तरह आधारभूत सुविधाएं हो यहां के मानव अधिकार सूचकांको में भी सुधार आये, राजस्थान अन्य क्षेत्रों में भी पूरे देश के लिए मिसाल कायम करें और भारत विकासशील की श्रेणी से छंलाग लगाते हुए एक सुविधा सम्पन्न, समृद्ध व विकसित राष्ट्र बने।

नवाचार करने में आगे, जनता के हमदर्द डॉ. समित शर्मा


21 फरवरी 1972 को राजस्थान के अजमेर में जन्में भारतीय प्रशासनिक सेवा के राजस्थान कैडर 2004 बैच के अधिकारी डॉ. समित शर्मा लोक सेवा के प्रति अपने समर्पण, सिद्धान्तों और नवाचारों के लिए जाने जाते है। सच तो यह है कि यह ऐसे अधिकारी है जिन्होनें जिन्होनें प्रशासनिक सेवाओं में अपने सिद्धान्तों और नियमों से कभी समझौता नहीं किया, भले ही किसी का भी दबाव हो, चाहे उन्हें इससे नुकसान ही उठाना पड़ा हो।
उन्होनें जून 2008 से लेकर सितम्बर 2009 मतबल मात्र 15 माह में चित्तौडगढ जिला कलक्टर रहते हुए कई रिकॉर्ड-तोड़ कार्य किये । जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं। सर्वाधिक उल्लेखनीय कार्य यह था कि इन्होंने कुछ माह में ही जिले भर में 27 अस्पतालों में न्यूनतम कीमत की जेनेरिक दवाईयों के विक्रय हेतु उचित मूल्य की दवा दुकानें खुलवाई जिसका सुखद परिणाम यह हुआ कि 100 रूपये की दवा 10 रूपये में मिलने लगी और 20 रूपये की दवा 2 रूपये में । उपचार सुलभ और सस्ता हो गया, गरीब व्यक्ति भी अपना अपना इलाज कराने में सक्षम हो सके। यह एक ऐसा प्रयोग था जिससे चित्तौड़गढ़ जिले को देशभर में पहचान मिली और उसका नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानचित्र पर आ गया।
जिले को हरा-भरा बनाने के लिए आमजन और संस्थाओं के सहयोग से मिशन हरित चित्तौड़गढ़ के दौरान 15 लाख पौधों का पौधारोपण करवाया गया। आम लोगों को इससे जोड़ने के लिए अनेक स्थानों पर श्रमदान आयोजित किया गया जिसमें वे स्वयं भी सम्मिलित होते। इसके साथ ही मनरेगा को प्रभावशाली तरीके से क्रियान्वित करवाया । उन्होनें लोक प्रशासन के महत्वपूर्ण सिद्धान्त संवेदनशीता, पारदर्शिता और जवाबदेहीता को अपने दैनिक प्रशासनिक कार्यों में उतारा।

सड़कों पर उतर आई जनता

डॉ समित शर्मा चित्तौड़ जिला कलेक्टर रहते हुए ऐसे अधिकारी के रूप में चर्चित हुए, जो आमजन से सीधे जुड़े हुए थे और जरूरतमंद की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे । इसी कारण जब राजनीतिक कारणों से उनका कम समय में स्थानान्तरण हुआ तो चित्तौड़गढ़ की जनता सड़कों पर आ गई। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी कलक्टर को रोकने के लिए जनता ने आन्दोलन किया और राजस्थान में कांग्रेस सरकार होते हुए भी इस आन्दोलन में कांग्रेसी नेता भी सम्मिलित हुए। अपने प्रिय कलक्टर को रोकने के लिए चित्तौड़गढ पूरे 5 दिन बंद रहा स्वयं समित शर्मा ने चित्तौड़ के आमजन को समझाया तब जाकर मामला शांत हुआ।

नागौर में ’’जनता का कलक्टर’’ कहा जाने लगा


सितम्बर 2009 से लेकर जनवरी 2011 तक मात्र लगभग 16 माह नागौर कलक्टर रहते हुए जिले की जनता के बीच विकासवादी छवि व लोकहितकारी कार्यों से वे जल्दी ही लोकप्रिय हो गये। उन्होने नागौर में भी पारदर्शी, निष्पक्ष और प्रभावी लोक प्रशासन दिया। लोक शिकायतों के निवारण हेतु नई प्रभावशाली प्रणाली को विकसित कर क्रियन्वित करवाया। प्रत्येक आगंतुक को व्यक्तिगत रूप से सुनकर उसकी संबंधित अधिकारी से बात कराई जाती और फिर प्रत्येक लिखित आवेदन की रसीद दी जाती, और कहा जाता कि यदि आपका काम ना हो या आप संतुष्ट नहीं हो तो अमुक समय बाद वापस आ जाएं। सभी शिकायतों को कम्प्यूटर में दर्ज किया जाता और प्रभावी मॉनिटरिंग की जाती, जिससे कि आमजन के वाजिब काम हो सके और उन्हें न तो काई चक्कर लगवाए और न उनसे रिश्वत मांगे। सभी अधिकारी और कर्मचारी समय पर दफ्तर पहुंचने लगे और शिक्षक गण समय पर स्कूल पहुंचकर बच्चों को पढ़ाने लगे। जिला कलेक्टर का कभी भी कहीं भी आकस्मिक निरीक्षण का ऐसा खौफ था कि कोई भी कर्मचारी देर से जाने या ड्यूटी से गैरहाजिर होने का ख्याल भी मन में नहीं आने देता था। जनता की सुनवाई कार्यक्रम को निरन्तर करते रहने, शासन व्यवस्था को चाक-चौबंद करने और आमजन की समस्या को त्वरित गति से हल करने के कारण नागौर में उन्हे ’’जनता का कलक्टर’’ कहा जाने लगा।

नागौर में जनता 4 दिन सड़को पर


नागौर से भी डॉ. समित शर्मा का स्थानान्तरण होने पर वहां की जनता रोषित होकर सड़कों पर आ गई और वापस नागौर लगाने की मांग करने लगी। एक बार फिर समित शर्मा को नागौर की जनता को समझाना पड़ा तब जाकर वहां के लोग समझे और 4 दिन बाद आन्दोलन खत्म किया गया। बार-बार ऐसा संयोगवश नहीं हो सकता था, यह जनता से सीधे जुड़ाव का परिणाम था।

डॉ. शर्मा की निःशुल्क दवा वितरण योजना विश्वभर में एक रोल मॉडल बनकर उभरी


डॉ. शर्मा की कलक्टर के पद पर पहली पोस्टींग 2008 मे राजस्थान के चितौड़गढ़ में हुई। चिकित्सा क्षेत्र में उनके कार्यों के कारण चितौड़गढ़ का नाम विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य संगठन, 172 राष्ट्रों की संस्थान विश्व स्वास्थ्य संगठन में बडे गर्व से सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है।
डॉ. समित शर्मा राजस्थान में निःशुल्क दवा वितरण योजना लाने वाले आई.ए.एस. है । कई उदाहरण है जिनसे जानकारी मिलती है कि उनके नवाचारों का सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत ओर विदेशों में भी अनुसरण किया गया और पहचान भी मिली।
वर्तमान में देखा जा रहा है कि कई युवा मेडिकल क्षेत्र में पैसा कमाने ही आते है लेकिन डॉ. समित शर्मा ने एक शिशु रोग विशेषज्ञ होने के बाद भी गरीब और जरूरतमंद लोगों की लाचारी को समझा और निःशुल्क दवा वितरण योजना और जेनरिक दवाईयों के लिए अभियान चलाया।
डॉ. शर्मा के इस अभियान से चिकित्सा माफिया उनसे नाराज भी हुआ और उन्होनें कई बार षडयंत्र रचने का प्रयास भी किया लेकिन डॉ. शर्मा का बाल भी बांका नहीं कर पाए। चितौडगढ़ व नागौर जिले में सफल रही किफायती जेनेरिक दवा योजना से राजस्थान सरकार प्रभावित हुई। सरकार ने समित शर्मा को निःशुल्क दवा वितरण योजना बनाने की अहम जिम्मेदारी सौंपी । अल्प समय में ही योजना बनाकर 2 अक्टूबर 2011 को मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा वितरण योजना लागू की गयी। यह योजना इतने सुनियोजित और सुव्यवस्थित तरीके से बनाकर लागू की गई की सिर्फ भारत में ही नहीं वरन् विश्व भर में एक रो मॉडल योजना बनकर उभरी।

अफोरडेबल हेल्थ केयर मॉडल के बारे में विदेशों सहित कई स्थानों पर प्रजेन्टेशन दिया


डॉ. समित शर्मा ने यू.के., बैंकॉक, कनाड़ा, नेपाल सहित कई देशों की कॉन्फ्रेंस में भाग लिया । इसके साथ ही संसद में स्वास्थ्य की स्थाई समिति व राज्यसभा की वाणिज्य समिति के समक्ष भी आमजन के लिए उपचार सुलभ बनाने हेतु दवाओं के मूल्य नियंत्रण के पक्ष में अपना प्रजेंटेशन दिया, जिसे दोनों समितियों ने अपनी सिफारिशों में सम्मिलित किया। इसके अतिरिक्त अनेक राज्यों यथा यू.पी., महाराष्ट्र, प.बंगाल, गुजरात के मुख्यमंत्री/स्वास्थ्य मंत्री , उच्च अधिकारियों व अनेक समितियों के समक्ष भी निःशुल्क दवा योजना के संबंध में प्रजेंटेशन दिया। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में भी उन्हें एक स्पेशलिस्ट के रूम मे आमंत्रित किया गया और दवओं के मूल्य कम करने जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हुई।

मेडिसिन मैन के उपनाम से देश-विदेश में हुए लोकप्रिय


डॉ. समित शर्मा के द्वारा की गई दिन-रात की मेहनत से भारत में पहली बार सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से किफायती जेनेरिक दवा योजना लाई गई । यह योजना इतनी प्रभावी ओर सफल रही की सिर्फ राजस्थान सरकार ही नहीं वरन् भारत के सभी राज्यों का ध्यान इस योजना पर गया।
राज्यसभा में सन् 2010 मे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विभाग की स्टेडींग कमेटी द्वारा 45वीं रिपार्ट जेनेरिक दवा की उपयोगिता आवश्यकता, महत्व और प्रभाव पर पेश की गई । इस रिपोर्ट में डॉ. समित शर्मा द्वारा चितौड़गढ़ व नागौर जिले में किफायती जेनेरिक दवा योजना पर स्टेडिंग कमेटी द्वारा कई समीक्षा, अध्ययन, विवेचन व अनुसंधान पर भारत में जेनेरिक दवा की आवश्यकता, जरूरत, उपयोगिता, महत्ता व प्रभाव पर प्रकाश डाला गया ओर इस पर योजना बनाने की सिफारिश की गई।
रिपोर्ट को आधार मानते हुए केन्द्र सरकार ने स्वास्थ्य संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए। आमजन को उपचार उपलब्ध कराने हेतु प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना ओर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना लागू की गई।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना के तहत अभी तक केन्द्र सरकार द्वारा 3000 से ज्यादा जेनेरिक दवा स्टोर खोले जा चुके है। जहां किफायती दर पर 700 प्रकार की जेनेरिक दवा, केन्द्र सरकार उपलब्ध करा रही है। अब केन्द्र सरकार के चिकित्सक सिर्फ किफायती जेनेरिक दवा ही लिखे, ऐसा कानून लाने की तैयारी हो रही हैं, इस आशय की घोषणा स्वयं प्रधानमंत्री जी कर चुके हैं। जेनेरिक दवा लिखने का कानून बनाने हेतु ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। 10 वर्ष पूर्व राजस्थान में निःशुल्क दवा योजना की सफलता के फलस्वरूप भारत के 16 राज्यों में निःशुल्क दवा वितरण योजना अलग-अलग स्वरूप मे संचालित हो रही है और इन राज्यों के प्रतिनिधियों ने पहले राजस्थान आकर इस निःशुल्क दवा योजना की स्टडी की, इसके बाद ही इसे अपने-अपने राज्यों में लागू किया।

राजस्थान ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में भारत का प्रतिनिधित्व किया


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में सिर्फ देश ही प्रतिनिधित्व करते है लेकिन किफायती जेनेरिक दवा योजना और निःशुल्क दवा योजना के लिए राजस्थान राज्य को आमंत्रित किया गया। राजस्थान भारत का पहला राज्य है जिसने (डब्ल्यूएचओ) में भारत का प्रतिनिधितव किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधियों ने राजस्थान आकर जेनेरिक दवा योजना और निःशुल्क दवा पर अध्ययन कर समीक्षा की और न्दपअमतेंस।बबमे जव उमकपबपदम पद पदकपं की 22 पेज की रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने प्रकाशित की । जिसमें राजस्थान निःशुल्क दवा योजना के बारे में छापा गया और विश्व भर के विकासशील, प्रगतिशील और पिछडे राष्ट्रों को जेनेरिक दवा योजना ओर निःशुल्क दवा योजना अपनाने की सलाह दी। इसके बाद कई देशों के प्रतिनिधियों ने राजस्थान आकर निःशुल्क दवा वितरण योजना की जानकारी लेकर समीक्षा की। एक साधारण से आदमी के द्वारा किये गये असाधारण प्रयास ेस आज करोड़ों लोगों के जीवन में प्रकाश हुआ और इसलिए डॉ. समित शर्मा को किफायती जेनेरिक दवा योजना और निःशुल्क दवा वितरण योजना का जन्मदाता और मेडिसिन मैन के उपनाम से भी देश-विदेशों में जाना जाता है।

कई पुरस्कारों सहित प्रधानमंत्री से भी सम्मानित हुए डॉ. समित शर्मा


डॉ. शर्मा के कार्यों की गूंज पूरे देश में सुनाई देने लगी तो टेलिविजन के प्रचलित शो सत्यमेव जयते में अभिनेता आमिर खान ने उन्हे बुलाया। डॉ. समित शर्मा को सन् 2010 में भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के द्वारा औषधियों को किफायती बनाने के लिए 21 अप्रेल को नागरिक सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री लोक प्रशासन में उत्कृष्टता अवॉर्ड दिया गया।विश्व स्वास्थ्य संगठन के राष्ट्र प्रमुख और भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष द्वारा बेस्ट हेल्थ केयर अवॉर्ड 2012 प्रदान किया गया।इसके बाद उत्तर पद्रेश के राज्यपाल द्वारा रोटरी एक्सीलेंस अवार्ड प्रदान किया गया । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा 2013 को निःशुल्क दवा योजना के सॉफ्टवेयर ई-औषधि बनाने के लिए उन्हें राजस्थान ई-गवर्नेस अवार्ड से सम्मानित किया गया। आज यह सॉफ्टवेयर भी अन्य राज्यों द्वारा उपयोग में लिया जाता है। इसके अतिरिक्त भी डॉ. समित शर्मा कई पुरस्कारों से नवाजे गये।

प्रत्येक क्षेत्र में नवाचार करने और अनुशासन की मिसाल बने डॉ. शर्मा


डॉ. समित शर्मा सिर्फ चिकित्सा क्षेत्र में ही नहीं बल्कि प्रत्येक क्षेत्र में असाधारण प्रतिभा के धनी है, जिन्हें सफल नवाचार करने और अनुशासन की मिसाल माना जाता है। सिविल सेवा क्षेत्र में आने के बाद आजतक ड्यूटी समय में अपना आईडी कार्ड पहने रखते है। डॉ. शर्मा भारत के सर्वश्रेष्ठ दस आईएएस में जगह प्राप्त राजस्थान के गौरव है। महिला एवं बाल विकास विभाग मे रहे तो उन्होंने आंगनबाडी के माध्यम से पहली बार प्राथमिक शिक्षा पर महत्व दिया। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर खेल-खेल में पढ़ाई मस्ती की पाठशाला कार्यक्रम शुरू किया, जिससे 3 से 6 वर्ष की आयु के 18 लाख बच्चों को आंगणबाड़ी पाठशाला के माध्यम से प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा मिलने लगी जिसकी देशभर में प्रशंसा हुई। यूनिसेफ के प्रतिनिधिमंडल ने राजस्थान के इस कार्यक्रम की समीक्षा की और तारीफ भी की। मनरेगा आयुक्त रहे तो भ्रष्टाचार पर लगाम कसने और जो काम करेगा, उसे ही दाम मिलेगा पर कार्य किया। उनका सिद्धान्त था पूरा काम और पूरा दाम जिससे कि नरेगा के माध्यम से रोजगार के साथ-साथ गांवों में स्थाई परिसंपत्तियों का सृजन भी हो, और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हो। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में रहे तो राजस्थान में पहली बार विभाग द्वारा संचालित सभी पेंशन योजना का डाटा ऑनलाइन अपग्रेडेशन किया।भारत मे राजस्थान को लाखों लाभार्थियों तक सीधे खाते में पेंशन पहुचाने में अव्वल स्थान मिला ओर इसके लिए डॉ. शर्मा को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया।

डॉ. समित शर्मा जिस विभाग में रहे, वहां बायोमेट्रिक ऑनलाइन हाजरी सिस्टम शुरू किया और उसका खुद भी अनुसरण करते है। एनएचएम के एमडी रहते हुए अल्प कार्यकाल में ही राजस्थान के सभी स्तर के सरकारी अस्पतालों का आकस्मिक निरीक्षण किया गया और इसके लिए अलग-अलग टीमें गठित की गई। आकस्मिक निरीक्षण से अस्पतालां की वास्तविक स्थिति को जाना गया ओर अस्पतालों के गुणवत्ता सुधार के लिए संसाधन उपकरण बढ़ाने, सुविधाएं बढ़ाने, बजट बढ़ाने पर एनएचएम के द्वारा प्राथमिकता से काम कर योजना बनाई गई।

डॉ. समित शर्मा का जीवन परिचय


21 फरवरी 1972 को जन्मे आईएएस समित शर्मा मूलरूप से राजस्थान के अजमेर के रहने वाले हैं। समित शर्मा ने एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर रखी है। लोक सेवक बनने से पहे पांच साल तक समित शर्मा ने एक अस्पताल में चिकित्सक के रूप मे सेवाएं दी। समित शर्मा ने अपने पिता सुरेंद्र कुमार शर्मा के दोस्त डॉ. पीसी जैन की बेटी डॉ. सोनिका से शादी की। इनके दो बच्चे हैं।

आई.ए.एस. डॉ. समित शर्मा का अब तक का सफर

समित शर्मा 2004 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। मंसूरी, जयपुर व झालावाड में ट्रेनिंग पूरी होने के बाद समित शर्मा को जोधपुर में एसडीएम लगाया गया। फिर ये कोटा नगर निगम के सीईओ, अलवर व भिवाड़ी यूआईटी में सचिव, चित्तौड़गढ़ व नागौर में जिला कलक्टर, एनआरएचएम मिशन डायरेक्टर, आरएमएससी एमडी लगया गया। इनके अलावा खनिज, ईजीएस, संयुक्त सचिव, विशेष सचिव, जयपुर मेट्रो चेयरमैन, श्रम आयुक्त, जयपुर व जोधपुर संभागीय आयुक्त के पद पर सेवाएं दे चुके है।

डॉ. समित शर्मा से कार्यालय समय में कभी भी मिला जा सकत है


आईएएस समित शर्मा अपने तबादलों के साथ-साथ अनूठे फैसलों की वजह से भी चर्चा में रहते हैं। जयपुर में चाह माह तक संभागीय आयुक्त रहने के दौरान समित शर्मा ने अपने कार्यालय के बाहर बोर्ड लगाकर मिलने का समय लिखा था- कार्यालय समय में कभी भी । बोर्ड की तस्वीर सोशल मीडिया में काफी वायरल हुई थी। लोगों ने समित शर्मा के इस फैसले की जमकर तारीफ भी की थी।