स्वास्थ्य भवन में सीएमएचओ ने की कूलर-पाळसियों की सफाई
रविवार को प्रातः 10 बजे से आमजन स्वयं घर-घर करेंगे एंटी लार्वा गतिविधियाँ
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। डेंगू फैलाने वाले मच्छरों की रोकथाम के लिए जिला कलेक्टर नमित मेहता के आह्वान पर शुरू किए गए “डेंगू मुक्त बीकाणा” अभियान के प्रथम चरण में शनिवार को सरकारी-निजी कार्यालयों, अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों आदि में सघन एंटी लारवा गतिविधियां उन्हीं के कार्मिकों द्वारा की गई। स्वास्थ्य भवन में सीएमएचओ बीकानेर डॉ ओ पी चाहर, डिप्टी सीएमएचओ डॉ लोकेश गुप्ता, आरसीएचओ डॉ राजेश कुमार गुप्ता, डॉ अनिल वर्मा, सहायक लेखाधिकारी अनिल आचार्य, इंद्रजीत सिंह ढाका, आईईसी समन्वयक मालकोश आचार्य सहित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी द्वारा एंटी लारवा गतिविधियों को अंजाम दिया गया। परिसर में विशेष रुप से कूलर, पालसिये, मटकिया व बाल्टी या खाली गमले खाली किए गए। स्वास्थ्य भवन की छतों पर मौजूद सभी पानी की टंकी की जांच की गई और लार्वा मिलने पर उसमें टेमीफोस डाला गया। डॉ चाहर ने सभी छतों को अभियान चलाकर साफ करने हेतु संबंधित को निर्देश दिए।रविवार को चलेगा घर-घर एंटी लार्वा अभियान
जिला आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य ने बताया कि “डेंगू मुक्त बीकाणा” अभियान के तहत जिला कलेक्टर नमित मेहता के आह्वान पर पूरे जिले भर में आमजन द्वारा घर-घर एंटी लार्वा गतिविधियां की जाएंगी। अभियान का सघन प्रचार-प्रसार किया जार रहा है। विभाग के आईईसी अनुभाग द्वारा प्रचुर मात्रा में पम्फलेट पोस्टर व स्टीकर की आपूर्ति सभी स्वास्थ्य केंद्र तक कर दी गई है। शहरी क्षेत्र के सभी 80 वार्ड में जिला प्रशासन द्वारा गठित टीमों को भी आईईसी किट का वितरण किया गया है। स्वास्थ्य भवन में पूरे दिन विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक व कर्मचारी आई ई सी सामग्री तथा आवश्यक जानकारी लेने पहुंचते रहे।कैसे करें घर पर एंटी लारवा गतिविधियां
मच्छर जनित बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ अनिल वर्मा ने बताया कि आमजन को इस मुहीम से जुड़ते हुए एंटी लार्वा गतिविधियों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। डेंगू व चिकनगुनिया फैलाने वाली मादा एडीज एजिप्टी मच्छर साफ़ पानी में अंडे देती है। अण्डों से लार्वा, फिर प्यूपा बनते हैं और 7 दिन में वयस्क मच्छर बन जाता है। बेहतर है कि खुले व ठहरे हुए पानी के ऐसे जल स्रोतों को सप्ताह में एक बार अच्छे से साफ़ कर दिया जाए ताकि लार्वा से मच्छर बनने ना पाए। पानी की मटकी, चरी, टंकी एवं अन्य बर्तनों को ढंक कर रखा जाये जिससे मच्छर उनमें प्रवेश कर प्रजनन न कर सकें। पानी की मटकी व पक्षियों के लिए रखे जाने वाले परिंडों को सप्ताह में एक बार खाली कर उन्हें बर्तन साफ करने वाले झामे से रगड़ कर, साफ कर व सुखाकर मच्छर के अण्डे एवं लार्वा नष्ट कर पुनः भरा जाये। कूलर, फ्रीज के पीछे की ट्रे, गमले, फूलदान इत्यादि हेतु भी यही प्रक्रिया अपनानी जानी चाहिए। इसके साथ ही छत पर रखे टूटे-फूटे सामान, कबाड़-टायर इत्यादि को हटाकर पानी इक्कठा होने से रोका जाये।