शोभयात्रा में सजीव झांकियों ने मनमोहा, जनमानस को दिए कई संदेश : मीरा बाई के भक्ति दर्शन पर पहली बार हुई वुर्चअली संवाद कार्यशाला

कुंडल तालाब से चारभुजा नाथ मंदिर तक गूंजे भक्ति गीत

चारभुजा नाथ मंदिर में हुई साहित्यिक संगोष्ठी, वक्ताओं ने रखे मीरा बाई के व्यक्तित्व व भक्तिकाव्य पर अपने विचार

विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। मिठी ठंड का अहसास कराने वाली मंद-मंद हवाओं के बीच उदयीमान सूर्य की साक्षी में मेड़ता शहर के नजदीक प्राचीन कुंडल तालाब के किनारे विभिन्न तरह के रूपधरे नौनिहाल रंग-बिरंगी पौशाकों में सजे-धजे वाहनों पर नजर आए। कोई चतुर्भुजनाथ का रूप धरे थे तो किसी ने भक्तिमति मीरा बाई का स्वरूप धारण किया।
यह मनमोहक दृश्य था मीरा शरद महोत्सव के तहत मंगलवार को निकाली गई प्रभात फेरी, जो प्राचीन कुंडल तालाब से रवाना होकर मेड़ता शहर के विभिन्न रास्तों से होती हुईं चारभुजा नाथ मंदिर तक पहुंची। देवदर्शन का अहसास कराने वाले सजीव झांकियों में से कुछ झांकियां पर्यावरण संरक्षण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ तथा कोरोना की रोकथाम व वैक्सीनेशन का संदेश कराने वाली भी थी। प्रभात फेरी में आर्यवीर दल द्वारा दिखाए गए करतब आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहे। कुंडल तालाब से चतुर्भुजनाथ मंदिर तक निकाली गई प्रभात फेरी में भक्तिमति मीरा बाई की पदावली के गीत भी सुनाई दिए तो देशभक्ति गीतों की गूंज भी रही।
मीरा शरद महोत्सव के तहत मंगलवार, 19 अक्टूबर को निकाली गई प्रभात फेरी का चतुर्भुज नाथ मंदिर पहुंचने पर गांधी दर्शन समिति के जिला संयोजक जगदीश नारायण शर्मा, उपखण्ड अधिकारी शैतानसिंह राजपुरोहित, चारभुजानाथ मीरा मंदिर ट्रस्ट के सचिव सत्यदेव सांदू आदि पदाधिकारियों व गणमान्यजनों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। इसके बाद सभी ने भगवान चारभुजानाथ के दर्शन किए और पूरा मंदिर परिसर श्रीहरि व भक्तिममति के जैकारे से गूंज उठा।

मीराबाई के भक्तिदर्शन से अलौकिक आनंद की प्राप्ति

मीरा बाई का जन्म, मेड़ता से उनका संबंध, दादा राव दूदा से जुड़े उनके प्रसंग, कृष्ण के प्रति अगाध भक्ति और इसमें पैदा की गई बाधाएं और अंत में द्वारकाधीश की मूर्ति में उनका समाहित होने की बात, यह सब सुनने को मिला मेड़ता के चारभुजानाथ मंदिर में। अवसर था मीरा शरद महोत्सव के तहत मंगलवार को आयोजित साहित्यिक संगोष्ठी का। साहित्यिक संगोष्ठी में वक्ता व इतिहासकार डॉ. सदीक मोहम्मद ने मीरा बाई की जीवनी पर आधारित शोधपत्र का वाचन किया और कहा कि उनके जीवन दर्शन से समर्पण का भाव प्रकट होता है। वहीं साहित्यकार बजरंगलाल जेठू ने मीरा बाई को वैराग्य की मूर्ति बताते हुए उनके भक्तिदर्शन को तन्मयता से ओतप्रोत बताया। उन्होंने भक्तिमति मीरा बाई की पदावली को भावार्थ की गुढ़ता के साथ प्रस्तुत करते हुए कहा कि मीरा बाई के जीवन दर्शन से अलौकिक आनंद की प्राप्ति होती है। राजस्थानी भाषा के रचनाधर्मी डॉ. रामरतन लटियाल ने मीरा बाई की जीवनगाथा से जुड़े प्रसंगों पर प्रकाश डाला। साहित्यिक संगोष्ठी को गांधी दर्शन समिति के जिला संयोजक जगदीश नारायण शर्मा व उपखण्ड अधिकारी मेड़ता व अध्यक्ष मीरा बाई स्मारक संचालक समिति शैतानसिंह राजपुरोहित ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मीरा शरद महोत्सव-2021 के आयोजनों को भव्यता प्रदान करने का प्रयास किया गया है और इसमें आयोजन से जुड़े सभी संस्थानों, गणमान्यजनों व मेड़ता के आमजन का पूरा सहयोग मिला है। समारोह में भैंसड़ा सरपंच अभयंिसंह मेड़तिया, सीबीईओ गोविन्दराम बेड़ा भी अतिथि के रूप में मौजूद रहे। मीरा बाई के भक्तिदर्शन पर आयोजित इस साहित्यिक संगोष्ठी में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष नंदकुमार अग्रवाल, चारभुजानाथ मीरा मंदिर ट्रस्ट के सचिव सत्यदेव सांदू, श्यामसुंदर सिखवाल, मच्छराज सिखवाल, दशरथ सारस्वत, वंशप्रदीप सिंह गोविन्दगढ़, राजबहादुरसिंह दुगौर, मुरली वैष्णव, भगवतीलाल टेलर, ब्लॉक संदर्भ व्यक्ति मुरलीधर रांकावत, कवि हरिओम तरंग, वरिष्ठ पत्रकार वीरेन्द्र वर्मा, नरेन्द्रसिंह, राजीव पुरोहित, जयप्रकाश श्रीमाली, शक्तिसिंह राठौड़, सुनील सिखवाल तथा जुगल वैष्णव सहित मेड़ता शहर के गणमान्य मौजूद रहे। मंच संचालन प्रकाश व्यास ने किया।
मीराबाई के भजनों पर नृत्य का वर्चुअली प्रसारण और उनकी जीवनी पर परिचर्चा
भक्तिमति मीरा बाई के जीवन दर्शन, कृष्णभक्ति से जुड़ी पदावलियों और उनके व्यक्तित्व एवं कृतिव पर मंगलवार को वर्चुअली संवाद कार्यक्रम भी हुआ। इस वर्चुअली कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहा मीरा बाई के भजनों पर प्रस्तुत किए गए नृत्य का, जिसका संयोजन रिद्म डांस एकेडमी की सीमा राठौड़ ने किया। इंटेक नागौर-जोधपुर चैप्टर तथा जिला पर्यटन विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस वर्चुअली कार्यशाला की शुरूआत में मेहरानगढ़ फोर्ट, जोधपुर से उमर राजनगाड़वची ने पहले नगाड़ो व शहनाई की धुन के बीच मायड़ भाषा में स्वागत गीत और इसके बाद मीरा बाई के दो संगीतमयी भजन प्रस्तुत किए। इसके बाद शुरू हुआ मीरा बाई के जीवन चरित्र और भक्ति काव्य पर आधारित व्याख्यानमाला और परिचर्चा का, जिसकी भूमिका डॉ. महेन्द्रसिंह तंवर, सहायक निदेशक, मेहरानगढ़ ट्रस्ट ने रखी। इसके बाद इतिहासकार डॉ. शक्तिसिंह खाखड़की ने मीरा बाई के मेड़ता, पुष्कर, चितौड़, आमेर, वृंदावन और फिर द्वारका तक की जीवनयात्रा और इससे संबंधित ऐतिहासिक स्थलों पर प्रकाश डाला।
वरिष्ठ साहित्यकार देवकिशन राजपुरोहित इस वर्चुअली संवाद में अपने गांव चंपाखेड़ी से ऑनलाइन जुड़ते हुए कहा कि मेड़ता शहर में भक्तिमति मीरा बाई के जीवनकाल से जुड़े सभी ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण और जीर्णोद्धार होना चाहिए ताकि यहां पर्यटन को नए पंख मिल सके।
इंटेक नागौर के संयोजक हिम्मतसिंह राठौड़ ने मीरा शरद महोत्सव के आयोजन की गतिविधियों में शामिल किए गए वर्चुअली सांस्कृतिक प्रस्तुतिकरण और परिचर्चा व व्याख्यानमाला कार्यक्रम की रूपरेखा प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह नवाचार जिला कलक्टर व अध्यक्ष, जिला पर्यटन विकास समिति डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी की पहल पर किया गया, जिसके सफल परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्चुअली संवाद के सफलतम आयोजन में मीरा शरद महोत्सव के आयोजन में अग्रणी की भूमिका निभा रहे गांधी दर्शन समिति के जिला संयोजक जगदीश नारायण शर्मा, समाजसेवी भंवरलाल बजाज, सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, नेहरू युवा केन्द्र तथा मीरा शरद महोत्सव समिति, मेड़ता का अच्छा सहयोग रहा, इसके लिए सभी को साधुवाद। वर्चुअली कार्यशाला के समापन पर उपखण्ड अधिकारी, मेड़ता शैतानसिंह राजपुरोहित ने सभी संभागियों का आभार प्रकट करते हुए भक्तिमति मीरा बाई को विराट व्यक्तित्व की धनी बताते हुए उनके जीवन दर्शन से सीख लेने की बात कही। वर्चुअली कार्यशाला का संचालन कल्पना चांपावत ने किया। इस वर्चुअली कार्यशाला में चारभुजानाथ मंदिर से मेड़ता शहर के विभिन्न गणमान्यजन व भक्तजन जुड़े रहे।