भारतीय कला संस्कृृति एवं पुरातत्व के क्षेत्र में डॉ. तैस्सितौरी का योगदान अद्वितीय था- डॉ. खडगावत
विनय एक्सप्रेस समाचार,बीकानेर। सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट , बीकानेर के तत्वावधान में इटली मूल के राजस्थानी विद्वान डॉ. एल. पी. तैस्सितोरी की 134वीं जयंती पर दो दिवसीय कार्यक्रम के तहत दूसरे दिन मंगलवार को बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के सभागार में डॉ. एल.पी. तैस्सितोरी अवार्ड अर्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डॉ. महेन्द्र खडगावत थे। तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की।
इस अवसर पर डॉ खड़गावत ने कहा कि डॉ तैस्सितोरी महान् विद्वान एवं भाषाविद तो थे ही,भारतीय कला संस्कृति एवं पुरातत्व के क्षेत्र में उनका योगदान अद्वितीय था । डॉ खड़गावत ने कहा कि 5 वर्ष के दीर्घकाल तक यहां की विषम परिस्थितियों में अत्यधिक कठिनाइयां सहन करके भी उन्होंने विभिन्न घाटियों, रेत के टीलों, नगरों और मंदिरों, किलों तथा नगर के विभिन्न दुर्गों की यात्राएं की । उन्होंने कहा कि सरस्वती तथा दृषद््वती की सूखी घाटी में कालीबंगन में हड़प्पा पूर्व के प्रसिद्ध केंद्र की खोज करने का श्रेय सर्वप्रथम डॉक्टर तैस्सितोरी को ही जाता है, इतने महान विद्वान की स्मृति में महान साहित्यकारों को अवार्ड दिया जाना गौरवान्वित करता है । डॉ खड़गावत ने कहा कि सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट के तत्वावधान में तैस्सितोरी को प्रति वर्ष श्रद्धा से स्मरण किया जाना संस्था का राजस्थानी भाषा के प्रति समर्पण है । उन्होंने कहा कि संस्था को शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने डॉ तैस्सितोरी के कार्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि सन 1917 में वे यहां 5 अप्रैल से 10 अप्रैल तक रहे और कालीबंगन के प्रागैतिहासिक विशेषताओं से युक्त पत्थर की फालों, मिट्टी के वलयों तथा तश्तरियों, अस्थिनिर्मित उपकरणों तथा पात्रों के खंडों के साथ-साथ तीन पाषाण मुद्राएं भी भूमि से खोद निकाली। जोशी ने कहा कि रॉयल एशियाटिक सोसाइटी की पत्रिका में डॉ तैस्सितोरी ने कालीबंगन सभ्यता के शोधकार्य की रिपोर्ट भेजी थी । उन्होंने कहा कि विदेशी मूल के विद्वानों ने राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है फिर भी हमारी राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करना 10 करोड़ लोगों का अपमान करना है, उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा मान्यता आन्दोलन को ऊँचाई देने वाले साहित्यकारों-बुद्धिजीवियों एवं पत्रकारों को हर वर्ष डॉ एल पी तैस्सितोरी अवार्ड अर्पित किया जाता है, इसी श्रृंखला में डॉ सुधीर सक्सेना एवं राजाराम स्वर्णकार को तैस्सितोरी अवार्ड दिया गया है ।
कार्यक्रम में वर्ष 2020 के लिए दिये गये अवार्ड भोपाल निवासी साहित्यकार-पत्रकार डॉ सुधीर सक्सेना का परिचय एवं व्यक्तित्व और कृतित्व पर व्यंगकार डॉ अजय जोशी ने प्रस्तुत किया तथा अभिनंदन पत्र का वाचन शिविरा के पूर्व सम्पादक मुकेश व्यास ने पढ़ा । वही वर्ष 2021 के तैस्सितोरी अवार्डी राजाराम स्वर्णकार के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से साहित्यकार अशफ़ाक कादरी ने परिचय प्रस्तुत किया तथा अभिनंदन पत्र का वाचन शायर डॉ नासिर जैदी ने किया ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में युवा गीतकार-रचनाकार ज्योति वधवा रंजना ने वंदना का सस्वर प्रस्तुति दी। सम्मानित डॉ सुधीर सक्सेना एवं राजाराम स्वर्णकार ने डॉ एल पी तैस्सितोरी की स्मृति में सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट द्वारा तैस्सितोरी अवार्ड के लिए संस्था का आभार जताया ।
दोनों साहित्यकारों को अतिथियों द्वारा सम्मान स्वरूप शाल, श्रीफल , स्मृति चिन्ह एवं अभिनंदन पत्र भेंट किया गया ।
कार्यक्रम में साहित्य अकादेमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ने भी सम्बोधित किया कार्यक्रम का सफल संचालन कवियत्री-आलोचक डॉ. रेणुका व्यास ने किया। तथा अंत में कार्यक्रम समन्वयक एन डी रंगा ने आभार प्रकट किया ।
कार्यक्रम में सर्वश्री चन्द्रशेखर जोशी, डॉ सीताराम गोठवाल, रजनी छाबड़ा, मनीषा आर्य सोनी, डॉ कृष्णा आचार्य, बुलाकी शर्मा, डॉ नीरज दइया, गिरिराज पारीक, संजय जनागल, शिवकुमार शर्मा, बृजगोपाल जोशी, मोहम्मद फारूख चौहान, नवनीत पाण्डे, बी एल नवीन, एडवोकेट महेन्द्र जैन सहित अनेक महानुभावों ने शिरकत की ।