अपनी बात परमात्मा को सुनाना प्रार्थना है, बैठ कर परमात्मा को सुनना ध्यान है : पंडित विजय शंकर व्यास

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। केसर देसर सेवगों की गली स्थित थानवी जी की कोटड़ी मे स्वर्गीय बृजगोपाल थानवी की स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कथा प्रवक्ता पंडित विजय शंकर व्यास द्वारा आज
श्रोता के गुण धर्म के विषय में व्याख्यान करते हुए कहा कि हमारे हृदय में भगवान ही बैठकर सुनते हैं, हम नहीं सुनते।

जैसे व्यास आसन है श्रोता भी कृष्णासन ही है। श्रोता के हृदय में बैठकर स्वयं श्रीठाकुरजी ही सुनने आते हैं। अब एक बात कहूँ, इतनी कुर्सी सोफा लग रहे हैं, आप आए तो किस सोफा कुरसी पर बैठोगे जो सबसे ज्यादा सुविधाजनक हो, जो सबसे स्वच्छ हो, जो सबसे पवित्र हो, जो सबसे बढ़िया हो।

ऐसे ही जब सब श्रोता आकर बैठते हैं तो श्रीठाकुरजी विचार करते हैं और जिसका हृदय सबसे निरमल होता है श्रीठाकुरजी उसी के हृदय में विराजमान हो जाते हैं। जिसका हृदय जितना आनन्दित है उसके हृदय में भगवान उतने ही विराजित हो जाते हैं और उतने ही सुनते हैं और उतना ही आपके आचरण में उतर पाएगा।