ओशो लाइब्रेरी जयपुर एवं संयुक्त विकास समिति के तत्वावधान में लाफ्टर मेडिटेशन और लाफ्टर चैलेंज का आयोजन……..

विश्व हास्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने जमकर लगाए ठहाके……..

जयपुर, 01 मई। विश्व हास्य दिवस के अवसर पर जयपुर में बोहरा जी की बावड़ी वार्ड नंबर 13 में रविवार को ओशो लाइब्रेरी जयपुर एवं संयुक्त विकास समिति के तत्वावधान में समस्त जयपुर वासियों के लिए लाफ्टर मेडिटेशन और लाफ्टर चैलेंज का आयोजन किया गया। प्रातः 07 बजे प्रारम्भ हुए लाफ्टर मेडिटेशन और लाफ्टर चैलेंज में ओशो लाईब्रेरी, संयुक्त विकास समिति, उत्थान सेवा समिति, आरएसएस, संघ और वॉलीबॉल क्लब के सदस्यों ने भाग लिया।
प्रतिभागी चारों टीमों ने जमकर हास्य की परफॉर्म दी। इसमे संयुक्त विकास समिति प्रथम, उत्थान सेवा समिति द्वितीय, ओशो लाइब्रेरी जयपुर तृतीय और आरएसएस,संघ चतुर्थ स्थान पर रहे। विजेता टीमों को वार्ड नंबर 13 के पार्षद श्री रणवीर सिंह राजावत एवं श्री मूलचंद सैनी द्वारा सम्मानित किया गया और ओशो लाईब्रेरी, जयपुर द्वारा ट्रॉफी भेंट की गई। विजेता टीम के सदस्यों शीशराम चोधरी, नित्यानंद त्रिपाठी, नंदकिशोर जी, शशिकांत जी, नानक राम थावानी, मानसिंह शेखावत, बजरंग झा, राम सिंह शेखावत, सुधीर मिश्रा, सत्य प्रकाश शर्मा,मदन कश्यप, मनोज शर्मा, पूज्य सिंधी पंचायत समिति, नारायण दास, विक्की सुखलानी, अशोक झमटानी, वासदेव रुपानी, पुरषोत्तम नाजवा, देवीलाल जी, श्री गौतम जी, सत्यानंद जी, राजन जी को सम्मानित किया गया।
ओशो लाईब्रेरी, जयपुर के प्रवक्ता श्री नरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि कोविड महामारी के कारण पिछले कुछ समय से लोगों में चिंता, भय और असुरक्षा का वातावरण बना हुआ है और कमोबेश लोग हँसना-हँसाना भूल गए हैं। ऐसे में हास्य दिवस की महत्ता अधिक बढ़ जाती है। इसी बहाने लोग थोड़ी देर के लिए ही सही, अपने सारे तनाव और चिन्ताएं भुलाकर हास्य के सागर में गोते लगाते हैं। हमारा प्रयास है कि पुनः लोगों को हंसने की कला सिखाई जाए,।
ओशो ने कहा है कि हंसना तो बहुत अदभुत घटना है। सिर्फ मनुष्य को छोड़ कर कोई पशु-पक्षी हंसता नहीं। हंसने के लिए विवेक चाहिए, बोध चाहिए। हंसने के लिए समझ चाहिए। जितनी समझ गहरी होगी, उतनी ही गहराई हमारे हंसने में भी आएगी। यह उपासना है, सत्संग है। हंसो, जी भर कर हंसो! मेरे देखे, अगर कोई समग्ररूपेण हंसना सीख ले, कि जीवन की कोई भी परिस्थिति उससे उसकी हंसी न छीन पाए, उसकी मुस्कुराहट बनी ही रहे–सुख में दुख में, सफलता में असफलता में–तो कुछ और पाने को नहीं बचता। सब पा लिया! वैसी दशा ही समाधि है, मोक्ष है।