पिछले चार साल के दौरान सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों में साल दर साल प्रसव में कमी आई है। वहीं सीजेरियन से प्रसव के केस में खासा इजाफा हुआ है।सरकारी अस्पतालों में वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2021-22 में जहां प्रसव में करीब 5 फीसदी की कमी आई । वहीं सीजेरियन करीब 45 फीसदी बढ़े हैं।
विनय एक्सप्रेस समाचार, भीलवाड़ा| जिले में पिछले चार साल के दौरान सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों में साल दर साल प्रसव में कमी आई है। वहीं सीजेरियन से प्रसव के केस में खासा इजाफा हुआ है।सरकारी अस्पतालों में वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2021-22 में जहां प्रसव में करीब 5 फीसदी की कमी आई । वहीं सीजेरियन करीब 45 फीसदी बढ़े हैं।
चिकित्सक प्रसव में कमी का कारण लोगों में परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता बढ़ना बता रहे हैं। सीजेरियन बढ़ने का कारण अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सक और चिकित्सा सुविधाएं बढऩे के साथ ही लोगों में जोखिम नहीं लेना बता रहे हैं। निजी अस्पतालों में भी यहीं चलन देखने को मिल रहा है।
चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में सरकारी अस्पतालों में वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 40,511 प्रसव हुए। इसमें 2,970 सीजेरियन हुए। 2021-22 की अवधि में प्रसव का आंकड़ा चार साल पहले की तुलना में पांच फीसदी घटकर 38,405 रह गया, जबकि सीजेरियन करीब 45 फीसदी बढ़कर 4,299 हो गए।
जागरूकता से घटी जन्मदर
चिकित्सकों के अनुसार अब युगल एक या दो संतान ही चाह रहे हैं। उनमें परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता बढ़ी है। अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए महिलाएं कई तरह के परिवार नियोजन के साधन अपना रही है। भीलवाड़ा परिवार नियोजन के मामले में वर्ष 2020-21 में राजस्थान में तीसरे स्थान पर रहा।
जांचों से जटिलताएं सामने आई
चिकित्सकों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव पूर्व जांच की सुविधाएं मिलने से गर्भवती को हो रही जटिलताओं का पता चल जाता है। प्रसव में किसी तरह की कठिनाई और रिस्क होने पर चिकित्सक परिजनों को इस बारे में बता देते हैं। ऐसे में परिजन भी जज्जा और बच्चा के लिए जोखिम नहीं लेते और तुरन्त सीजेरियन के लिए सहमति दे देते हैं।
सुविधाएं सुधरी है…
अब पूरे जिले में चिकित्सा सुविधाएं बेहतर हुई है। ग्रामीण इलाकों में स्त्री रोग विशेषज्ञ होने से जोखिम होने पर सीजेरियन कर दिया जाता है। लोगों ने अब रिस्क लेना कम कर दिया है। परिवार नियोजन के प्रति लोगों में जागरूकता आई है।
– डॉ. संजीव शर्मा, जिला शिशु और प्रजनन अधिकारी, भीलवाड़ा
पूर्व जांच में जटिलता का पता चल जाता है…
जिला चिकित्सालय में प्रसव और सीजेरियन दोनों मामले बढ़े है। गांवों से जटिल केस आने पर जिला अस्पताल में सीजेरियन करना पड़ता है। प्रसव पूर्व जांच होने से जटिलताएं और रिस्क भी पता चल जाती है। ऐसे में परिजन प्रसव के समय किसी तरह का जोखिम लेना नहीं चाहते।
– डॉ. मुकेश सुवालका, स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, राजकीय महात्मा गांधी अस्पताल भीलवाड़ा
मेडिकल कॉलेज खुला, गांवों में चिकित्सकों की नियुक्ति
भीलवाड़ा में वर्ष 2018 में मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया। यहां जिला मुख्यालय पर राजकीय महात्मा गांधी अस्पताल को मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध कर दिया गया। मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं और चिकित्सकीय सुविधाओं में खासा इजाफा हुआ। ऐसे में जिला अस्पताल में प्रसव के मामले बढ़ गए। दो साल में कोरोना के कारण राज्य सरकार ने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी चिकित्सक और सुविधाओं में बढ़ोतरी की। इसका भी असर प्रसव और सीजेरियन पर पड़ा है।
सरकारी अस्पतालों में हुए प्रसव
वर्ष कुल प्रसव सीजेरियन
2018-19 40,511 2,970
2019-20 41,894 3,774
2020-21 40,485 4,179
2021-22 38,405 4,299
निजी अस्पतालों में हुए प्रसव
वर्ष कुल प्रसव सीजेरियन
2018-19 5,233 355
2019-20 4,678 877
2020-21 4,134 610
2021-22 4,125 748