विनय एक्सप्रेस विशेष आलेख, डॉ. समित शर्मा। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण राजस्थान विपुल संभावनाओं का प्रदेश है। क्षेत्रफल की दृष्टि से इसे भारत का सबसे बड़े राज्य होने का गौरव प्राप्त है, तो वहीं मानव संसाधन की दृष्टि से देखें तो हमारी जनसंख्या कनाडा से दुगनी और यूनाइटेड किंगडम के समतुल्य है।
विश्व का इतिहास गवाह है की किसी भी देश के विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग हेतु पूंजी निवेश व उद्योग धंधों को स्थापित करने की आवश्यकता होती है, जिससे वहां की जनता के लिए इनका सदुपयोग किया जा सके।
राजस्थान में भी चाहे आसमान से बरसती सूर्य की किरणें हो या पृथ्वी पर चलने वाली तेज हवाएं या फिर धरती के सीने में दबा पेट्रोलियम और अन्य खनिज। इन्हें राज्य के लोगों के हित में उपयोग लेने की आवश्यकता है। जिससे अनेक हाथों को रोजगार मिल सके, उपभोक्ताओं को अच्छे उत्पाद मिल सके व प्रदेश का आर्थिक विकास हो एवं यहां समृद्धि व खुशहाली आए। इसकी शुरुआत होती है उद्यमशीलता, उद्यमियों और विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्रों के उद्योगों से।
औद्योगिक निवेश सम्मेलन
इसी उद्देश्य के साथ इन्वेस्ट राजस्थान सम्मिट का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें लगभग 10 लाख करोड़ रुपए के एमओयू एवं एल ओ आई प्रस्तावित है।
पश्चिमी राजस्थान के जिलों में सूर्य की सीधी पढ़ने वाली किरणों व निर्बाध बहने वाली पवन की गति के सदुपयोग हेतु सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जानी है। पचपदरा रिफाइनरी का लाभ लेने के लिए केमिकल एंड पेट्रोकेमिकल सेक्टर में इन्वेस्टमेंट प्रस्तावित है। अपार खनिज संपदा के उपयोग हेतु सीमेंट इंडस्ट्री और माइन्स एंड मिनिरल्स संबंधी उद्योग स्थापित किए जाने हैं। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उपयोग टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में किया जाना है। इससे स्पष्ट है कि प्रकृति ने हमारे राज्य को कितना सामर्थ्यवान एवं समृद्ध बनाया है, अब हमें अपने हिस्से का योगदान देना है।
राज्य सरकार द्वारा इसके लिए अच्छा होमवर्क भी किया गया है। आकर्षक नई निवेश प्रोत्साहन नीति के साथ-साथ एम एस एम ई, हैंडीक्राफ्ट एवं पर्यटन प्रोत्साहन नीति भी लाई गई है। पिछले अनुभव से सीखते हुए स्थापित होने की फिसिबिलिटी चेक के बाद ही एमओयू साइन किए जा रहे हैं।
राजस्थान की ताकत
निसंदेह राजस्थान के जो अन्य प्लस पॉइंटस है जैसे अच्छी कानून व्यवस्था, कुशल मानव संसाधन की उपलब्धता, दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का यहां से गुजरना, उत्पादों के विक्रय हेतु निकट ही बाजार की उपलब्धता आदि भी निवेशकों को आकर्षित करते हैं।
अवसर व चुनोतियाँ
किंतु विभिन्न सेक्टर्स के 4000 से अधिक एमओयू को धरातल पर उतारना कोई कम चुनौतीपूर्ण कार्य नहीं है। इसके लिए भूमि उपलब्ध कराना, आवश्यक राजकीय स्वीकृतियां जारी करना, निवेश प्रोत्साहन योजना अंतर्गत रियायतों का लाभ दिलाना, विभिन्न विभागों द्वारा निवेशकों का कार्य तत्काल, सुगमता से और बिना सेवा शुल्क के करना, 24 घंटे निर्बाध सस्ती बिजली उपलब्ध कराना, औद्योगिक उपयोग हेतु पर्याप्त जल देना, अपशिष्ट निस्तारण में सहयोग प्रदान करना एवं इज ऑफ डूइंग बिजनेस को धरातल पर उतारना निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने के लिए बहुत ही आवश्यक है। यह भी बहुत जरूरी है कि कृषि आधारित एवं छोटे और मझले उद्योगों को भी बढ़ावा मिले जिससे अनेक युवाओं हेतु रोजगार के अवसर सृजित हो। साथ ही इस निवेश के फलस्वरूप होने वाले उत्पादन व मूल्य संवर्धन से प्राप्त राजस्व की राज्य के आर्थिक विकास में सकारात्मक भूमिका हो।
असीम संभावनाएं
दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और कृतसंकल्पित ब्यूरोक्रेसी इन प्रस्तावों को अमलीजामा पहनाने के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध करा सकती है। प्रस्ताव धरातल पर आने से राज्य की गरीबी और बेरोजगारी दूर होगी, बेहतर उत्पाद और सेवाएं कम मूल्य पर उपलब्ध होंगे एवं आम लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। निश्चित ही इससे हमारे बच्चों व आने वाली पीढ़ियों का भविष्य उज्ज्वल होगा। यह अवसर है, निमित्त है, माध्यम है – राज्य के लाखों युवाओं को उत्पादक कार्यों में नियोजित करने का व प्रदेश को खुशहाली की राह पर ले जाने का, करोडों आंखों के सपनो को साकार करने का।
यदि ठान लें तो सफलता निश्चित है
निवेश से समृद्धि का सफर मुश्किल जरूर है पर नामुमकिन नहीं।
उद्यमशीलता, पुरुषार्थ, कड़ी मेहनत एवं सृजनधर्मिता से राजस्थान व यहां के निवासी न सिर्फ अपनी दिशा व दशा बदल सकते है अपितु विकसित भारत के निर्माण में भी अपना महत्ती योगदान दे सकते है।
7 करोड़ नागरिक यदि तय कर लें तो कुछ भी असंभव नहीं। आवश्यकता बस संकल्प करने व प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमिका का निर्वहन करने की है।
डॉ समित शर्मा
(लेखक भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं और पूर्व में कमिश्नर इंडस्ट्रीज और आयुक्त (निवेश) रह चुके हैं।)