गाय-गांवस्वावलंबन यात्रा आज चौथे दिन लूनकरणसर क्षेत्र के गांव धीरेरा के पाबूजी मंदिर वाले गुवाड में पहुंची : ग्रामीणों ने बड़े उत्साह से यात्रा का स्वागत किया

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। गांव धीरेरा में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए बेरोजगार कामगार किसान सेना और गाय-गांव स्वावलंबन यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक गौभक्त चौधरी महेंद्र सिंह गोदारा ने कहा कि गाय धर्म और अर्थ की जड हैं।इसे बचाना ही राष्ट्र हित का मुख्य कार्य है।आजादी से पहले भारत में 36 नस्लें गौमाता की पाई जाती थी।जो आज घटकर मात्र 10 ही नस्लें बची है और इसी तरह लंपी जैसी षड्यंत्र कारी महामारी की शिकार होती रही तो भारत की मूल नस्लें विलुप्त प्राय हो जाएगी।और यदि भारत की गायों की मूल नस्लें समाप्त होती है तो,भारतीय संस्कृति को बचा पाना भी मुश्किल होगा।


यात्रा के प्रदेश संयोजक गोस्वामी शिशपाल गिरि ने बताया की गांवों में हमें पता चला हैं कि लंपी महामारी से लोगों के घरों में गायों के खुंटे खाली हो गये हैं। प्राय हर गांव में 1000 से ज्यादा दुधारू व गर्भवती गाये अपने छोटे बछड़ो के साथ गोलोक सिधार गयी।ग्रामीणों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है क्योंकि इस क्षेत्र में रोजगार का मुख्य साधन गाय ही हैं।इसलिए हमारा संगठन सरकार से पुरजोर मांग करता है कि गोपालको के नुकसान की भरपाई मुआवजा देकर की जाए।


यात्रा के आयोजक एडवोकेट विनोद आर्य ने ग्रामीणों को बताया की सरकार के भरोसे न बैठकर हर गांव में कृषि,पशुओं और मनुष्य के वैदिक चिकित्सक अवश्य बनाने चाहिए क्योंकि वैदिक चिकित्सा से ही गाय और गांव का भला हो सकता हैं।आज यात्रा गांव धीरेरा, हंसेरा और दुलमेरा आदि गांवों में पहुंची।आज रात्रि विश्राम वासुदेव गौशाला गांव में करेंगे।इसी प्रकार गाय गांव स्वावलंबन यात्रा पुरे राजस्थान में जन जागरण का कार्य करेगी।