विनय एक्सप्रेस समाचार, श्रीगंगानगर। पशु विज्ञान केंद्र सूरतगढ़ द्वारा आत्मा योजना अंतर्गत अंतराज्य संस्थागत (अनुसूचित जाति) कृषक प्रशिक्षण कैफेटेरिया बी-2 (बी) अंतर्गत पांच दिवसीय व्यवसायिक बकरी पालन एवं वैज्ञानिक प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण के तीसरे दिन (बुधवार को) आवश्यक जानकारी दी गई।
केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. राजकुमार बेरवाल ने बताया कि राजस्थान क्षेत्र में बकरियों के आहार के लिए खेजड़ी, नीम, अरडु, बबूल कीकर, बरगद, बेरी, झड़बेरी, आदि वृक्षो की अधिकता से उपलब्ध रहता है। भारत वर्ष की बकरी की प्रमुख नस्ले भी इसी क्षेत्र में विकसित हुई है, परंतु अधिक मुनाफे के लिए बकरी को सूखे चारे तथा चारागाह में चराने के साथ बाटा भी देना चाहिए। जिससे उनकी वृद्धि अधिक होती है तथा बच्चे भी अधिक उत्पन्न होते हैं तथा इनके आवासीय व्यवस्था में सर्दी, गर्मी, बरसात के मौसम का उचित प्रबंधन होना चाहिए, जिससे इनको विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाया जा सके।
केंद्र के डॉ. मनीष कुमार सेन ने बकरियों के बाहरी तथा आंतरिक परजीवी जीवो के बचाव के उपाय बताएं इनसे फैलने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी। इनको कर्मीनाशक दवा और विभिन्न प्रकार की बीमारियों के टीके लगाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस प्रशिक्षण शिविर में जयपाल (सहायक कृषि अधिकारी) तथा मोहन सिंह (कृषि पर्यवेक्षक) उपस्थित रह। प्रशिक्षण शिविर में कुल 30 पशुपालकों ने भाग लिया।