विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। खान एवं भूविज्ञान विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती वीनू गुप्ता ने कहा है कि राज्य की 5 हैक्टेयर या इससे अधिक क्षेत्रफल की 9 सितंबर, 2013 के बाद डिस्ट्रिक्ट लेवल एन्वायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी द्वारा जारी पर्यावरण स्वीकृति वाली माइंस व क्वारी लाइसेंस धारकों को राज्य स्तर पर दोबारा पर्यावरण स्वीकृति के लिए विभागीय अधिकारियों को कलस्टर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले अर्थात 9 सितंबर, 2013 से पहले की जिला स्तर पर पर्यावरण स्वीकृति वाली खानों की पर्यावरण स्वीकृति के लिए माइनिंग लीजधारकों व क्वारी पट्टाधारकों द्वारा स्टेट लेवल एन्वायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी में सीधे ही आवेदन करना होगा।
श्रीमती गुप्ता शुक्रवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा डिस्ट्रक्ट लेवल एन्वायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी द्वारा जारी पर्यावरण स्वीकृति वाले खानधारकों द्वारा राज्य स्तरीय एन्वायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी से एक साल की अवधि में पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त करने के निर्देश के क्रम में समीक्षा कर रही थी। उन्होंने बताया राज्य सरकार स्तर पर जयपुर की दो स्टेट लेवल एन्वायरमेंट अप्रेजल कमेटी के साथ ही जोधपुर और उदयपुर में एक एक स्टेट लेवल एन्वायरमेंट अप्रेजल कमेटी के गटन का विचार किया जा रहा है।
एसीएस श्रीमती गुप्ता ने बताया कि एनजीटी के आदेश के बाद राज्य सरकार गंभीर है और इसके लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होेंने बताया कि 5 हैक्टेयर या इससे अधिक की माइनिंग व क्वारी लीजों की संख्या कम है और इनका कलस्टर बनाने का काम आरंभ करने के निर्देश दे दिए गए हैं जबकि इनके अतिरिक्त डिस्ट्रीक्ट लेवल एन्वायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी से पर्यावरण स्वीकृति वाली लीजों के धारकों द्वारा सीधे ही आवेदन किया जाएगा और इनके प्रर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया आसान होने और राज्य स्तर की जोधपुर और उदयपुर में कमेटी गठित होने से प्राथमिकता से पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त हो सकेगी।
निदेशक खान एवं भूविज्ञान श्री संदेश नायक ने बताया कि विभागीय अधिकारियों द्वारा 9 सितंबर, 2013 के बाद की 5 हैक्टेयर या इससे अधिक की माइनिंग व क्वारी लीजों को राज्य स्तर से पर्यावरण स्वीकृति के लिए कलस्टर बनाने का काम आरंभ कर दिया गया है और इस माह के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस तरह की करीब 1300 माइनिंग लीज व क्वारी लाइसेंस है।
श्री नायक ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा एनजीटी के निर्देशों के क्रम में राज्य स्तर से पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवश्यक सहयोग व समन्वय किया जा रहा है और उन्हेांने बताया कि तय समय सीमा में राज्य स्तर से नियमानुसार पर्यावरण स्वीकृति के लिए समन्वय बनाया जा रहा है।