कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों की एक दिवसीय कार्यशाला : प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों की तकनीक व प्रगति पर हुआ मंथन

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा मंगलवार को कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों के प्रथम पंक्ति प्रदर्शन, तकनीकी एवं प्रगति विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरूण कुमार और विशिष्ठ अतिथि कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आई. पी. सिंह, निदेशक अनुसंधान डॉ. पी. एस. शेखावत, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ विमला ढूँकवाल, काजरी प्रभारी डॉ. नवरतन पंवार थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुभाष चन्द्र ने की। उन्होंने कार्यशाला की रूपरेखा एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला।

कार्यशाला में रबी-2023-24 में कृषकों के खेत पर दलहन, तिलहन व अनाज वाली फसलों के लगने वाले प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों की तकनीकी पर मंथन हुआ। कुलपति डॉ. अरूण कुमार ने कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों, कृषक उत्पादक संघ तथा आदर्श गांव की प्रगति के बारे में जानकारी ली तथा प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों की तकनीकी में सुधार कर कृषकों के खेतों पर इन्हें प्रभावी तरीके से लगाने के निर्देश दिये। कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की विभिन्न इकाईयों – काजरी, केन्द्रीय शुष्क उद्यानिकी संस्थान, मूंगफली अनुसंधान व दलहन अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने फसलों, फलों, सब्जियों व खाद्य प्रसंस्करण से सम्बन्धित विभिन्न तकनीकी सुझाव दिये।

अनुसंधान निदेशक डॉ. पी. एस. शेखावत ने दलहनी व तिलहनी फसलों की नवीनतम तकनीकी से अवगत कराया तथा प्रदर्शनों के माध्यम से इन तकनीकों को कृषकों के खेतों तक पहुंचाने का आह्वान किया। डॉ. विमला डुंकवाल ने गृह विज्ञान के क्षेत्रों में लगाये जाने वाले प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों के बारे में अवगत कराया।

काजरी प्रभारी डॉ. नवरतन पंवार, केन्द्रीय शुष्क उद्यानिकी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉं. धुरन्दर सिंह, मूंगफली अनुसंधान संस्थान के प्रभारी डॉ. नरेन्द्र कुमार दायमा, दलहन अनुसंधान संस्थान के प्रभारी डॉ. सुधीर कुमार, डॉ. विजय सिंह राठौड़, डॉ. राजाराम आदि ने तकनीकी सुझाव दिये।

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्रों के समस्त वैज्ञानिकों सहित डॉ. दाताराम, डॉ. हनुमान देशवाल, डॉ. एन.एस. दहिया आदि ने भी कार्यशाला में भाग लिया तथा अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये।