विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता श्रेया गुहा ने बताया कि विनियामक मापदण्डों की गंभीरता से पालना करते हुए सहकारी बैंकों को भी वाणिज्यिक बैंकों के समकक्ष लाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों के व्यवहार में व्यवसायिक दृष्टिकोण एवं ग्राहकों के प्रति अच्छा अपेक्षित है,ताकि बैंक की साख में उत्तरोत्तर वृद्धि हो सकें।
गुहा शनिवार को दी राजस्थान स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के 71वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही थी।
इस अवसर पर उन्होंने बैंक के लगातार मुनाफ़े की स्थिति में रहने एवं सुदृढ़ वित्तीय मापदण्डों के लिए बैंक कार्मिकों को बधाई देते हुए कहा कि सहकारी बैंक एवं सभी केन्द्रीय सहकारी बैंकों के कर्मचारियों के संस्था से जुड़ाव की आवश्यकता है।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार सहकारी समिति मेघराज सिंह रत्नू ने कहा कि देश की 70 प्रतिशत आबादी का ग्रामीण होने एवं उनका कृषि पर निर्भर होने से किसानों की साख व्यवस्था महत्वपूर्ण होती है तथा इसी के दृष्टिगत ही सहकारी बैंकों का गठन किया गया है। साथ ही उन्होंने बैंक की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए बधाई दी एवं इजराइल देश का उदाहरण देते हुए प्रत्येक बैंककर्मी का बैंक से जुड़ाव होने का भी आह्वान किया ।
इससे पहले, बैंक के प्रबन्ध निदेशक भोमाराम ने स्वागत उद्बोधन मे बैंक की स्थापना, बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त करने तथा भारत सरकार, एनसीयूआई, नैफ्सकॉब तथा नाबार्ड द्वारा बैंक को दिए गए विभिन्न पुरस्कारों के सम्बन्ध में जानकारी दी।
इस दौरान नाबार्ड के उपमहाप्रबन्धक आशुतोष सरदाना द्वारा सहकारिता के विकास को चार चरणों में विभक्त करते हुए वर्ष 1904 में पहला अधिनियम बनाये जाने, 1934 में दीर्घकालीन साख संरचना के गठन व नाबार्ड के गठन सहित विभिन्न ऐतिहासिक चरणों के सम्बन्ध मे जानकारी दी ।
कार्यक्रम में बैंक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रतिनिधि के रूप में सूरजभान सिंह आमेरा ने सहकारिता प्रबन्धन, नाबार्ड एवं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंक को प्रदान किये गये निरन्तर मार्गदर्शन के लिए आभार प्रकट किया। अन्त में बैंक के महाप्रबन्धक राजेन्द्र कुमार मीना नेसमारोह मे उपस्थित सभी मंचासीन अधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बैंक कार्मिकों के योगदान हेतु आभार व्यक्त किया गया।