विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर।श्री लालेश्वर महादेव मंदिर शिवमठ शिवबाड़ी बीकानेर में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद् भगवद गीता सत्संग का दूसरे दिवस पर व्यास पीठ से परम पूज्य स्वामी विमर्शानंद गिरि जी ने गीता के 16 अध्याय में दैवी संपत्ति पर प्रकाश डालते हुए लोगों को दैवी संपत्ति के गुणो को ग्रहण एवं आसुरी संपत्ति को त्याग करने हेतु विभिन्न उपाय सुझाए । स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने प्रथम दैवी संपत्ति अभय को माना है अर्थात ना मैं किसी से निर्मुल भय करू एवं ना किसी को मेरे द्वारा भय प्रदान हो । अभय का गुण प्राप्त होने से ही आत्मा से परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है । नवधा भक्ति , आध्यात्मिक चिंतन सत्संग आदि से दैवी संपत्ति के क्षरण को रोका जा सकता है । आज राष्ट्र के नागरिकों को चाहिए कि वह दैवी संपत्ति गुणों को ग्रहण कर राष्ट्र निर्माण के कार्य में जुटे । आज हमें यह विश्वास है युवा वर्ग द्वारा दैवी संपदा को अपनाने से निश्चित ही भारत दैवी संपदा से जगतगुरु बनेगा। कथा सत्संग के दौरान अमरनाथ में विराजित महादेव की प्रतिकृति रामदयाल राजपुरोहित द्वारा व्यास पीठ पर बनाई गई । कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बीकानेर शहर के गणमान्यों एवं मानव प्रबोधन प्रन्यास के सदस्यों की मौजूदगी रही ।