विनय एक्सप्रेस आलेख, अनिल सक्सेना। वर्तमान की राजनीति में चलन तो यह है कि पूर्ववर्ती सरकार के फैसले और योजनाओं को सत्ता में आते ही बंद कर दो लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सबसे अच्छी बात यह है कि राज्य की भाजपा सरकार के द्वारा घोषित पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को आम जनता के लाभ के लिए क्रियान्वित करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन भाजपा की केन्द्र सरकार इस ओर ध्यान ही नही दे रही है।
अभी कुछ दिनों पहले एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की सातवीं बैठक में केन्द्र सरकार से पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की । सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदेश में पिछले भाजपा शासन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस योजना की घोषणा की थी और उस समय भी उनके द्वारा राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की गई थी ।
पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर में पीने और सिंचाई के लिए पानी सुनिश्चित करने के लिए ईआरसीपी जरूरी है। इस परियोजना को 2017 में केंन्द्रीय जल आयोग के द्वारा अनुमोदित किया गया और तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2017-18 के बजट भाषण में कहा था कि उन्होने केन्द्र सरकार को राष्ट्रीय महत्व वाली परियोजना घोषित करने का प्रस्ताव भेजा है।
राजस्थान में दिसम्बर 2018 को कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तभी से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्वी राजस्थान के भले के लिए बार-बार कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का आग्रह किया है।
सच तो यह है कि ईआरसीपी 37000 करोड़ रूपये की एक महत्वकांक्षी योजना है जिससे लगभग 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी लेकिन इतनी राशि का वहन करना राज्य सरकार के लिए संभव नही है। इसी कारण से गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार को राज्य के कल्याण के हित में सहायता प्रदान करनी चाहिए ।
अब भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ ही आरएसएस के किसान संघ के द्वारा भी ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का समर्थन किया जाने लगा है। खबर तो यह भी है कि पूर्वी राजस्थान के दूसरे भाजपा जनप्रतिनिधि भी ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के पक्ष में है , जिससे उन्हें चुनाव में लाभ मिल सके।
इधर आरएसएस से जुड़े रहे केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस बात पर अड़े हुए हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की बात नही की थी। चलिए इस बात को छोडिए कि मोदी जी ने यह बात कही या नही कही । लेकिन पूर्वी राजस्थान के भले के लिए अब केन्द्रीय मंत्री को आगे आना चाहिए और ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाकर राजनीति में शुचिता का मैसेज देना चाहिए।
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या वसुंधरा राजे ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए शेखावत का विरोध किया था इसलिए वसुंधरा राजे की महत्वकांक्षी योजना पर ध्यान नही दिया जा रहा है । सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वसुंधरा सरकार में घोषित ईआरसीपी मामले में भाजपा की केन्द्र सरकार के ध्यान नही देने से अब भाजपा को नुकसान हो सकता है ?
इसमें कोई दो राय नही है कि केन्द्र की राजनीति में राजस्थान के गजेन्द्र सिंह का एक बड़ा नाम है। उनके साथ पढ़ाई करने वाले चित्तौड़गढ़ के मेरे कुछ मित्रों की बात पर विश्वास करें तो केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह एक अच्छे और सच्चे इंसान है और इस बात को देखते हुए उन्हे पूर्वी राजस्थान के भले के लिए आगे आना ही चाहिए ।