विनय एक्सप्रेस ज्योतिष आलेख, डॉ. आलोक व्यास। वैदिक ज्योतिष में शनि को नवग्रहों में अति महत्वपूर्ण माना गया है। शनि न्याय प्रधान ग्रह जो व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार जीवन में फलित करता है। शनि मानव जीवन में प्रजा, न्याय, चिंतन, कष्ट, पीड़ा, आयु, सजा, गुलामी, दुःखद अनुभव, वृद्धावस्था आदि का कारक होता है। अपनी मंद गति के कारण अन्य ग्रह की अपेक्षा किसी राशि में शनि सर्वाधिक समय व्यतीत करता है जिसे शनि की ढैय्या कहते हैं (ढाई साल) और गोचर में चंद्र राशि पर इसके प्रभाव को शनि की साढ़ेसाती (साढ़े सात साल) कहते है। शनि ग्रह कठिन परिश्रम, तकनीकी ज्ञान, खनिज वस्तुएं, तेल इत्यादि का कारक होता है। जन्म कुंडली में शनि के शुभ होने पर व्यक्ति कर्मशील, धैर्यशील और न्याय प्रिय होता है। व्यक्ति को प्राप्त सफलता क्योंकि कर्म आधारित होती है अतः स्थाई होती है। किंतु दुर्बल शनि होने पर जीवन के व्यक्ति में निरंतर कष्ट, गुलामी, अत्यधिक शारीरिक श्रम, मानसिक वेदना रहती है।
दिनांक 11 फरवरी 2024 को कर्म कारक ग्रह शनि कुंभ राशि में 1ः55 मिनट पर अस्त हो जायेगे। शनि के कुंभ राशि मे अस्त होने पर विभिन्न राशियों पर निम्नलिखित अच्छे बुरे प्रभाव परिलक्षित हो सकते है किंतु व्यक्तिगत परिणाम जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों की युति, दशा महादशा पर निर्भर करेंगे।
मेष : आर्थिक अनुकूलता, आय के नए साधन, संपर्क सूत्रों में बढ़ोतरी, बड़े भाई बहनों से मतभेद हो सकते है।
वृषभः कार्यक्षेत्र में अनुकूलता, सामाजिक प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी, पिता अथवा उच्च अधिकारियों का सहयोग।
मिथुनः धार्मिक क्रियाकलाप अथवा उच्च अध्ययन के अवसर के अवसर, नव संस्कृति से संपर्क, गुरुजनों का आशीर्वाद।
कर्कः नकारात्मक मानसिकता में कमी, भूमिगत वस्तुओं से लाभ, यंत्र तंत्र मंत्र विद्या की और रुझान।
सिंहः जीवनसाथी अथवा मित्रों से मतभेद, व्यापारिक साझेदारी में रुकावट किंतु दैनिक जीवन में अनुकूलता।
कन्याः शत्रु पीड़ा से राहत, शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार, कानूनी वाद विवाद में सफलता।
तुलाः संतान संबंधी कार्यों में अनुकूलता, रचनात्मक कार्यों में रुझान, सट्टेबाजी की मनोवृत्ति से नुकसान।
वृश्चिकः भूमि/ मकान/ वाहन के क्रय विक्रय में अवसर, गृहस्थान पर अनुकूलता, माता संबंधी पीड़ा।
धनुः कार्य हेतु यात्रा, किसी नए कार्य का शुभारंभ किंतु छोटे भाई बहनों अथवा अधीनस्त से मतभेद।
मकरः पारिवारिक कार्यों में अनुकूलता, स्थाई परिसंपत्ति निर्माण के अवसर, नेत्र अथवा वाणी दोष।
कुंभः आत्म छवि को लेकर असंतुष्टि, विचारों की अधिकता से मानसिक पीड़ा, एकांतवास अथवा आत्मचिंतन में समय।
मीनः खर्चे में कमी अथवा व्यापारिक कार्यों में आर्थिक सुधार, सुदूर प्रांत में अथवा विदेशी लोगों से लाभ।
डॉ आलोक व्यास