डूंगर काॅलेज में अन्तर विषयक विज्ञान शिक्षण कार्यशाला सम्पन्न : विज्ञान संकाय में विशिष्ट कैरिअर विषय पर परिचर्चा

डूँगर महाविद्यालय बीआईआरसी की होगी अलग प्रयोगशाला 

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। राजकीय डूँगर महाविद्यालय में सन् 2005 में स्थापित बीकानेर इंटर डिस्प्लनर रिसर्च कन्जोरटियम (बीआईआरसी) द्वारा आयोजित  15 दिवसीय  अन्तरविषयक बेसिक सांईस कार्यशाला के सफल समापन समारोह का आनलाइन आयोजन सोमवार को प्राचार्य डाॅ. जी.पी.सिह, सहायक निदेशक कालेज शिक्षा डाॅ. राकेश हर्ष, उपाचार्य डाॅ. ए.के. यादव एवं बीआईआरसी फांउडर डा. नरेन्द्र भोजक के सानिध्य में संपन्न हुआ।
अध्यक्षीय उदबोधन में प्राचार्य डाॅ. जी.पी. सिंह ने कहा कि राजस्थान के किसी भी काॅलेज में विधार्थी केन्द्रित इस प्रकार की कार्यशाला प्रथम बार आयोजित की गई हैं। इसमें विद्यार्थियों को अपने विषय की गहन जानकारी के साथ अन्य संबंधित विषय की बेसिक व उपयोगी जानकारी प्राप्त हुई यह उनके सर्वागींण विकास के साथ विषय विशेषज्ञ बनने में भी सहायक होगी। डाॅ. सिंह ने प्लास्टिक कम्पोजिट निर्माण, कोलायत की क्ले, सेरेमिक्स आदि पर जारी शोध  में डूँगर महाविद्यालय के योगदान की महता बताते हुए कहा कि डूँगर महाविद्यालय में शीघ्र ही बीआईआरसी की एक नई प्रयोगषाला 0स्थापित की जायेगी जिसमें भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, प्राणि शास्त्र, वनस्पति शास्त्र, भूगर्भ शास्त्र एवम गणित  विषय के विद्यार्थी कार्य कर सकेगें। उन्होने सभी विषय विशेषज्ञों को विशेष धन्यवाद व्यक्त करते हुए बी.आई.आर.सी. की नैक निरीक्षण में महता को रेखांकित किया एवं शिक्षण प्रशिक्षण की दिशा में उच्च गुणवत्ता दर्शा कर डूंगर काॅलेज की इस बेस्ट प्रेक्टिस को नेशनल स्तर पर प्रतिपादित होना बताया। विशिष्ट अतिथि डाॅ. राकेश हर्ष ने अपने उद्बोधन में उदाहरणों के माध्यम से शोध की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डूँगर महाविद्यालय नवाचारों में सदैव अग्रणी रहा है। उपाचार्य डाॅ. ए.के. यादव ने डूंगर काॅलेज के विकास कार्या की चर्चा करते हुए कहा कि यह कार्यशाला नवाचार से भरपूर शैक्षणिक विकास का उतम उदाहरण हैं।
इससे पूर्व अंतिम सत्र में विज्ञान संकाय में विशिष्ट कैरिअर विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें प्राणीशास्त्र विशेषज्ञ डाॅ. राजेेन्द्र पुरोहित, भौतिकशास्त्र डाॅ. एम.डी. शर्मा, वनस्पतिशास्त्र के डाॅ. अनिल अरोड़ा एवं रसायनशास्त्र के एस.के. वर्मा ने सरकारी एवं गैर सरकारी क्षैत्र मे इन विषयों से संबंधित कैरियर संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला की विवेचना करते हुए फाउंडर डाॅ. नरेन्द्र भोजक ने बताया  कि दो सप्ताह में कुल 25 सत्र आयोजित किए गये प्रत्येक सत्र में औसतन 200 विद्यार्थियों ने भाग लिया एवं कुल दृश्य संख्या 7000 से अधिक नोट की गई। डाॅ. भोजक के अनुसार विभिन्न विषयों में कुल 400 विद्यार्थियों ने पंजीकरण करवाया जिसमें राजस्थान के विभिन्न काॅलेजों के अतिरिक्त केन्द्रीय विश्वविद्यालय जम्मू, इन्दौर आई.आई.टी धनबाद, शान्ति निकेतन नोएडा आदि स्थानों के विद्यार्थी भी लाभान्वित रहे।  समन्वयक डाॅ. एच.एस. भंडारी ने बताया कि दो सप्ताह की वर्कषाप में आमंत्रित व्याख्यान के रूप में डाॅ. जी.पी. सिंह ने सेमीकंडक्टर के उपयोग, डाॅ. नरेन्द्र भोजक ने वर्चूअल व आगुमेन्टड रिएल्टिी, डाॅ. एम.डी. शर्मा ने विमाएं व ईकाईयां, डाॅ. रविन्द्र मंगल ने लर्निंग बाय डूंईंग, डाॅ. ए.के. नागर ने गणितीय भौतिकी, डाॅ. अनिल अरोड़ा ने जैवविविधता व ईकोसिस्टम, डाॅ. स्मिता शर्मा ने जीव विज्ञान के लिए कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी, डाॅ. प्रताप सिंह ने जैवविविधता, प्राणी एवं वन्य जीव व डाॅ. संजय ईस्सर ने जीव व रसायन विज्ञान हेतु गणित, डाॅ. राजेन्द्र पुरोहित ने विकिरण व जैव तंत्र, डाॅ. स्मिता जैन ने प्राकृतिक स्त्रोत व उनका संरक्षण, डाॅ. ए.के. छंगाणी ने पर्यावरण विज्ञान के अनुप्रयोग, डाॅ. मनोज शेखावत ने थर्मोंग्रेविमिटी, डाॅ. राकेश हर्ष ने फाॅसिल भूतकाल की कहानी, डाॅ. शशिकान्त ने वैदिक गणित रसायन व जैव वैज्ञानिकों के लिए, डाॅ. एच.एस. भंडारी ने एफ.टी.आई.आर. के अनुपयोग, डाॅ. मीरा श्रीवास्तव ने कीट विज्ञान, डाॅ. प्रवीण पुरोहित ने बायोडीजल द्वारा उर्जा सरंक्षण एवं डाॅ. राजाराम ने क्रोमेटोग्राफी विषय पर व्याख्यान देकर विद्यार्थियों का ज्ञान वर्धन एवं मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम में डाॅ. राजेन्द्र पुरोहित, डाॅ. एम डी शर्मा, डाॅ. अनिल अरोड़ा, डाॅ. ए.के. नागर, डा. देवेश खंडेलवाल, डा. एस. एन जाटोलिया, डा. राजा राम, डा. एस के. यादव व सहित अनेक संकाय सदस्यों ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।  समन्वयक डाॅ. एच.एस. भंडारी ने धन्यवाद व्यक्त किया।