विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। तेरापंथ के आद्यप्रवर्तक आचार्य श्री भिक्षु का 219वां चरमोत्सव सेवा केन्द्र व्यस्थापिका साध्वी श्री पावनप्रभा जी के सान्निध्य में मनाया गया. इस अवसर पर साध्वी श्री पावन प्रभाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य भिक्षु एक महातपस्वी संत थे. वे ऐसे महामानव थे जिनके पदचिन्हों पर आज लाखों लोग चल रहे हैं. आचार्य भिक्षु ने ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप से अभिमंडित एक अनुशासित धर्मसंघ की नींव रखी। उन्होंने पांच महाव्रत, पांच समिति और तीन गुप्ति के तेरह नियमों का पालन करने का प्रण लेकर धर्मक्रांति की अलख जगायी . साध्वी श्री रम्यप्रभाजी ने कविता के माध्यम से अपनी भावनाएं प्रस्तुत की. जैन महासभा के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना उच्च मनोबल व संकल्प शक्ति के योग से ही संभव हुई. उन्होंने कहा कि राजनगर के आगम के जानकार श्रावक नहीं होते तो तेरापंथ का जन्म नहीं होता। उन्होंने तपस्या को तेरापंथ धर्मसंघ का प्राणतत्व बताते हुए कहा कि आज चारों तीर्थ अर्थात श्रावक, श्राविकाए, साधू व साध्वी तप के माध्यम से तेरापंथ शासन का गौरव बढ़ा रहे हैं.
कार्यक्रम में कन्या मंडल की तरफ से समूह गीत प्रस्तुत किया गयाद्य तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमर चन्द सोनीए महिला मंडल अध्यक्षा ममता रांकाए युवक परिषद् के अध्यक्ष विजेंद्र छाजेड, किशोर मंडल सदस्य मुदित ललवानी, प्रोफेशनल फोरम के सुन्दर लाल छाजेड,अणुव्रत समिति के करनीदान रांका, युवक रत्न राजेन्द्र सेठिया, गरिमा सेठिया, चैनरूप छाजेड, धर्मेन्द्र डाकलिया ने इस अवसर पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी. संजय छाजेड़, डिम्पल छाजेड व नैतिक पुगलिया ने तपस्या का प्रत्याख्यान लिया। मैं हूँ ज्ञानवान प्रतियोगिता के प्रभारी धनपत भंसाली ने प्रतियोगिता की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की. कार्यक्रम का कुशल संचालन जतन संचेती ने किया।