विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। प्रख्यात चित्रकार फूलचंद वर्मा की अंजू दुबे द्वारा लिखी बायोग्राफी ‘फूल से रंग’ का लोकार्पण रविवार को श्रीडूंगर महाविद्यालय के प्रताप सभागार में हुआ। शिवबाड़ी स्थिति लालेश्वर मंदिर के अधिष्ठाता विमर्शानंदजी महाराज के सानिध्य में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि, नाटककार व विचारक डॉ.अर्जुनदेव चारण थे। अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने की।
इस अवसर पर विमर्शानंद जी ने कहा कि कला काल से परे ले जाती है। एक साहित्यकार या कलाकार काल के अंदर रहकर काल के पार रचते हुए मन को निराशा और अंधकार से निकालने का प्रयास करता है ताकि हमारी पात्रता बढ़ सके, सीखने-समझने की प्रक्रिया प्रारंभ हो सके। उन्होंने कहा कि इस बायोग्राफी से एक कलाकार के जीवन-संघर्ष को भी समझने का अवसर मिलेगा।
डॉ.अर्जुनदेव चारण ने कहा कि चित्रकला एक ऐसी लिपि है, जो तब अस्तित्व में थी जब शब्द भी नहीं था। उन्होंने विष्णु धर्मोत्तरम से छदंत हाथ की कहानी का उल्लेख करते हुए बताया कि आज भी प्राचीन चित्रवीथियों में छदंत हाथी मिलता है, जो हमें ईसा से दो शताब्दी पूर्व हमारे देश में कला-विकास की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि चित्रकार सिमिट्री का ध्यान रखता है, कवि इसे रिदम कहता है। वस्तुत: यही लय है, जिसे कोई भी रचनाकार साधने का प्रयास करता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि फूलचंद जी वर्मा भारतीय पारंपरिक चित्रकला शैली के बेजोड़े चित्रकार थे। उन्होंने समय के साथ जरूरी बदलाव को भी अपने चित्रों में व्यक्त किया, इसलिए मैं कह सकता हूं कि वे प्रगतिशील कलाकार थे।
लोकार्पित कृति पर पत्रवाचन करते हुए कवि-आलोचक नगेंद्र नारायण किराड़ू ने कहा कि यह बायोग्राफी एक ऐसे कलाकार कि है, जिन्होंने जीवनभर अपने कलाकर्म से ही वास्ता रखा। एक सच्चे कलाकार के रूप में फूलचंद से उनके व्यक्तिगत संपर्क रहे और बहुत कुछ सीखने को मिला।
बायोग्राफी की लेखिका अंजू दुबे ने अपने शोध के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि फूलचंदजी वर्मा की सहजता और सौम्यता से उन्हें सीखने को बहुत कुछ मिला। उन्होंने मुझे अपने समकालीन चित्रकारों से भी मिलवाया ताकि मेरे अंदर तुलना की दृष्टि विकसित हो सके। अंजू दुबे ने ‘फूल से रंग’ की पहली प्रति फूलचंदजी की धर्मपत्नी छगनी देवी को भेंट की। इस अवसर पर फूलचंद वर्मा के ‘ढोला-मारू’ एवं कालिदास के नाटक ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ पर आधारित श्रृंखलाओं के चित्रों की प्रदर्शनी भी सभागार में लगाई गई थी।
इस अवसर पर बायोग्राफी की लेखिका अंजू दुबे, कलाकार कलाश्री, कवि अशीष पुरोहित व कथाकार ऋतु शर्मा को सम्मानित किया गया।
प्रारंभ में स्वागत वक्तव्य एबीआरएसएम के संगठन मंत्री दिग्विजयसिंह शेखावत ने दिया। आभार डूंगर महाविद्यालय में ड्राइंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार ने स्वीकार किया। संचालन पत्रकार-कवि हरीश बी.शर्मा ने किया। इस अवसर बीकानेर के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।