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विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर।हिंदी एवं राजस्थानी भाषा के ख्य़ातनाम कीर्तिशेष साहित्यकार नरपत सिंह सांखला की स्मृति में द्वितीय राष्ट्रीय स्तरीय स्वर्गीय नरपत सिंह सांखला स्मृति पुरस्कार 2023 जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी जयपुर के सचिव राजेंद्र मोहन शर्मा को नागरी भण्डार में एक भव्य समारोह के तहत अर्पित किया गया।
संस्थान के समन्वयक संजय सांखला एवं सचिव क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी उद्बोधन देते हुए कहा कि स्वर्गीय नरपत सिंह सांखला मौन साधक एवं प्रखर विद्वान तो थे ही साथ ही नेक इंसान थे। उनकी स्मृति में राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार जयपुर के राजेंद्र मोहन शर्मा की महत्वपूर्ण एवं चर्चित कृति ‘मन के सबरंगÓ के लिए अर्पित होना सही चयन है। ऐसे पुरस्कारों के माध्यम से साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिलता है।
समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के शिक्षा, साहित्य, कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ बी.डी. कल्ला ने स्वर्गीय नरपत सिंह सांखला को नमन करते हुए कहा कि वे साहित्य, संस्कृति एवं समाजसेवा को समर्पित त्रिगुण की विभूति थे। सम्मानित होने वाले साहित्यकार राजेंद्र मोहन के बारे में डॉ. कल्ला ने कहा कि शर्मा प्रखर साहित्यकार एवं कुशल प्रशासक हैं। ऐसी प्रतिभा का चयन करने के लिए संस्था साधुवाद की पात्र है। संस्था को स्व. सांखला की स्मृति में निरन्तर आयोजन करने चाहिए।
पुरस्कार समारोह में अपना सान्निध्य देते हुए वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि स्व. सांखला हमेशा नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा पुंज रहे, ऐसी विभूति की स्मृति में राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार प्रारंभ करना एक नवाचार तो है ही साथ ही इस उपक्रम के माध्यम से नव लेखन के लिए प्रेरणा मिलती है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि बीकानेर नगर निगम के पूर्व महापौर हाजी मकसूद अहमद ने कहा कि स्व. सांखला ने साहित्य के क्षेत्र में अदï्भुत योगदान दिया। वो मेरी प्रेरणा के स्रोत है। मकसूद ने आगे कहा कि पुरस्कृत साहित्यकार शर्मा साहित्य के साथ अच्छे स्तंभकार भी है।
राजेंद्र मोहन शर्मा को पुरस्कृत करते हुए माल्यार्पण, साफ़ा, शॉल, स्मृति चिन्ह श्रीफल एवं 11000 रुपए की राशि का चेक अतिथियों द्वारा अर्पित किया गया। साथ ही सम्मान के क्रम में स्वर्गीय नरपत सिंह सांखला के परिवारजनों द्वारा स्वर्गीय सांखला की प्रकाशित पुस्तकों का सेट भेंट किया गया। सम्मानित शख्सियत राजेंद्र मोहन शर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर युवा कवि गिरिराज पारीक ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि राजेंद्र मोहन शर्मा की रचनाएं पौराणिकता से संबंध रखती है। आपकी 60 से अधिक साहित्यिक कृतियां प्रकाशित है जो काफी चर्चित रही हैं।
स्व. नरपत सिंह सांखला के व्यक्तित्व और कृतित्व पर पत्रवाचन करते हुए युवा साहित्यकार संजय आचार्य ‘वरूणÓ ने उनके साहित्य को मानवीय चेतना एवं सामाजिक सरोकार का दस्तावेज बताया। इसी क्रम में शिक्षाविदï् श्रीमती धीरज सैनी एवं श्रीमती रेखा चौबदार ने भी स्व. सांखला के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रसंग साझा किए।
प्रारम्भ में वरिष्ठ शिक्षाविद् संजय सांखला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि संस्थान के माध्यम से स्व. नरपत सिंह सांखला की स्मृति के अमर रखने के लिए संस्थान सृजनात्मक आयोजन करती रही है।
अपने सम्मान से अभिभूत होते हुए पुरस्कृत साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा ने बीकानेर साहित्य जगत के इस ऐतिहासिक एवं भव्य पुरस्कार समारोह के आयोजन के लिए संस्थान एवं आयोजकों को बधाई देते हुए स्व. नरपत सिंह सांखला को नमन करते हुए अपनी बधाई दी एवं इस राष्ट्रीय पुरस्कार को सृजनात्मक चुनौती के रूप में स्वीकार किया।
समारोह के आरंभ में तमाम अतिथियों एवं संस्था पदाधिकारियों द्वारा स्व. नरपत सिंह सांखला के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की गई। रेखा चोबदार, बालेचा मैडम और पूर्णिमा मित्रा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का सरस संचालन संस्थान के सचिव युवा शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी और धीरज सैनी ने संयुक्त रूप से किया। पुरस्कार समारोह में डॉ. जगदीश सांखल, मिलन गहलोत, डॉ. अजय जोशी, अमित गोस्वामी, रवि शुक्ल, सीमा तंवर, महेश तंवर सतीश मिनी, देवकिशन तंवर, खेमचंद भाटी, ओम गहलोत, एचडी स्वामी, मौलाना असरफी, दीपचंद सांखला, राजेंद्र जोशी, ओम प्रकाश सारस्वत, बुलाकी शर्मा, गोविंद जोशीर, बीएल नवीन, राजेंद्र स्वर्णकार वली मोहम्मद वली, सुनीन गज्जाणी आत्माराम भाटी, विपल्लव व्यास, मुकेश पोपली, सुधा आचार्य, पूर्णिमा मित्रा, इंजी. कासिम अली, प्रेमनारायण व्यास, प्रशांत जैन, राजेश चौधरी, सम्मी अहमद, गोपाल कुमार, बिसन मतवाला, सुशील छंगाणी, गोपाल गौतम, इंदर छंगाणी, छगन सिंह, आनन्द छंगाणी सहित अनेक गणमान्य समारोह के गरिमा में साक्षी रहे। अंत में वरिष्ठ लेखक एवं अधिवक्ता इसरार हसन क़ादरी ने आभार ज्ञापित किया।