बीकानेर विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित बहुविकल्पात्मक परीक्षा-प्रणाली का विरोध

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। एबीआरएसएम उच्च शिक्षा, राजस्थान ने महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा स्नातक प्रथम अर्द्धसत्र की परीक्षा 2023 को बहुविकल्पात्मक प्रश्न पद्धति से करवाने के निर्णय का तीव्र विरोध किया है।

संगठन के महामन्त्री डॉ सुशील कुमार बिस्सु ने माननीय राज्यपाल महोदय को पत्र लिखकर अवगत करवाया है कि महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर ने इस वर्ष स्नातक प्रथम अर्द्धसत्र (सेमेस्टर) के अन्त में होने वाली सभी विषयों की परीक्षाओं में केवल बहुविकल्पात्मक प्रश्न रखने का निर्णय लिया है, जो कि उच्च शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों और राष्ट्रीय शिक्षा-नीति (NEP) की मूल अवधारणा के पूर्णतः विपरीत है।
NEP 2020 की मूल अवधारणा में केवल सेमेस्टर प्रणाली लागू करना ही नहीं है, अपितु विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन का सतत एवं समग्र मूल्यांकन भी है। NEP में आन्तरिक मूल्यांकन और सेमेस्टर समाप्ति पर मूल्यांकन की प्रक्रिया का उल्लेख है। NEP का मूल उद्देश्य विश्लेषणात्मक, विवेचनात्मक एवं वैचारिक स्पष्टता है; इसी कारण सेमेस्टर समाप्ति पर ऐसी आकलन पद्धति आवश्यक है, जिससे विद्यार्थियों के द्वारा किये गए ज्ञानार्जन का विश्लेषणात्मक मूल्यांकन हो सके।
नेशनल हायर एजुकेशन क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क में भी किसी कोर्स के जेनेरिक लर्निंग आउटकम में ठीक प्रकार से लिखित संप्रेषण, जटिल जानकारी को स्पष्ट और संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत करने, अपने अध्ययन के परिणामों के संबन्ध में सुसंगत तर्क देने, अपने अध्ययन-क्षेत्र की विशिष्ट समस्याओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने और विश्लेषण के आधार पर समुचित निष्कर्ष तक पहुँचने का उल्लेख किया गया है। उच्च शिक्षा की विविध धाराओं, विशेष तौर पर समाजविज्ञान, मानविकी, ललित कला, भाषाविज्ञान इत्यादि में लिखित प्रस्तुतीकरण और भाषा कौशल का महत्त्व सर्वविदित ही है। विज्ञान के विषयों में भी विविध प्रकार की समस्याओं का विस्तृत हल और विषय की विश्लेषणात्मक प्रस्तुति के कौशल का विकास बहुत महत्त्वपूर्ण है। किन्तु, विश्वविद्यालय ने इन सब बातों को नज़रअंदाज़ करके आनन-फ़ानन में ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन पेपर से परीक्षा करवाने का प्रतिगामी कदम उठाया है।

संगठन के अध्यक्ष डॉ दीपक शर्मा ने बताया कि बीकानेर विश्वविद्यालय द्वारा सेमेस्टर के अन्त में केवल बहुविकल्पात्मक प्रश्नों के द्वारा परीक्षा लेने के निर्णय से विद्यार्थियों के भाषा एवं लेखन-कौशल, विवेचनात्मक एवं विश्लेषणात्मक क्षमता को परखना तो दूर, उलटा यह निर्णय विद्यार्थियों में अध्ययन की रुचि को भी कम करेगा, क्योंकि अभी तक जिन विषयों मे बहुविकल्पात्मक प्रश्नों से परीक्षा लेकर मूल्यांकन किया जाता है, उन विषयों को विद्यार्थी गम्भीरता से नहीं लेते हैं।

इसलिए विद्यार्थियों के दूरगामी हित और उच्च शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों के दृष्टिगत शिक्षक संघ ने राज्यपाल महोदय से हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए लिखा है कि वे बीकानेर विश्वविद्यालय के प्रशासन को सेमेस्टर के अंत में बहुविकल्पात्मक परीक्षा के निर्णय को वापस लेने के लिए निर्देशित करें।