जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक आयोजित
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। मां और बच्चे के उच्च स्वास्थ्य स्तर को बनाए रखने तथा किशोरी बालिकाओं में एनीमिया के नियंत्रण हेतु विशेष रूप से जिला स्तर पर बनाए गए मां एवं पुकार एप में शत प्रतिशत सूचनाओं का समयबद्ध इंद्राज होना आवश्यक है। जितनी भी डिलीवरी व एनीमिया जांच की रिपोर्ट लंबित है उन्हें रविवार तक पूरा कर लिया जाए। गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक के दौरान जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल द्वारा ये निर्देश सीएमएचओ डॉ मोहम्मद अबरार पंवार सहित समस्त स्वास्थ्य अधिकारियों को दिए गए। उन्होंने खंडवार डाटा एंट्री की समीक्षा की और जिला व ब्लॉक स्तर से प्रतिदिन इसकी निगरानी के निर्देश दिए। मौसमी बीमारियों की समीक्षा करते हुए जिला कलेक्टर ने कहा कि डेंगू – मलेरिया के ग्राफ में गिरावट दर्ज हुई है जो की आईडीएसपी सेल सहित संपूर्ण स्वास्थ्य विभाग की सतत निगरानी से संभव हो पाया है, अगले 20 दिन महत्वपूर्ण हैं। जब तक मौसम में ठंडक शुरू नहीं हो जाती तब तक सर्विलांस को मजबूत रखा जाए। उन्होंने आगामी माह में स्वाइन फ्लू तथा अन्य वायरल बीमारियों पर भी नजर रखने के निर्देश एपिडेमियोलॉजिस्ट नीलम प्रताप सिंह राठौड़ को दिए। उन्होंने शहर से लेकर गांव तक प्रत्येक अस्पताल में दवाओं की उपलब्धता व जांचों की सुनिश्चितता की जिम्मेदारी सभी ब्लॉक सीएमओ तथा चिकित्सा अधिकारियों को सौंपी। दूर दराज क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो इसके लिए उन्होंने सेवाओं के प्रदान करने में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा अपनाने की बात कही। उन्होंने राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में हो रहे उत्कृष्ट कार्य को सराहा। उन्होंने कहा कि ब्लॉक सीएमओ की सलाह पर स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप एम्बुलेंस की तैनाती की जाए। प्रतिमाह जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक से पूर्व समस्त चिकित्सा अधिकारियों की बैठक आयोजित कर इन हाउस समीक्षा के निर्देश भी जिला कलेक्टर ने दिए। उन्होंने कहा कि इस बैठक के माध्यम से पीसीटीएस सॉफ्टवेयर व भौतिक आंकड़ों में किसी प्रकार का अंतर होने पर मिलान कर लिया जाए।
इस अवसर पर जिला टीबी अधिकारी डॉ सीएस मोदी, जिला ड्रग वेयर हाउस प्रभारी डॉ नवल किशोर गुप्ता, डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ लोकेश गुप्ता सहित समस्त जिला स्तरीय अधिकारी, ब्लॉक सीएमओ, बीपीओ व शहरी ग्रामीण अस्पतालों के चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे।