विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर. सही और गलत में अंतर करने की ताकत नैतिकता है और नैतिकता से ही सफलता मिलती है. ये विचार मैनेजमेंट ट्रेनर डॉ. गौरव बिस्सा ने जय नारायण व्यास कॉलोनी स्थित आरएसवी शिक्षण समूह द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला *“इग्नाइट योर माइंड”* के समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये. बिस्सा ने कहा कि मनुष्य पशुओं से इसलिये बेहतर है क्योंकि वह नई चीजें सीखता रहता है. उन्होंने बताया कि खुशी उतनी ही पर्सनल होती है जितना पर्सनल टूथब्रश होता है अतः दूसरों के चक्कर में खुद की खुशी को त्यागना गलत है. डॉ. बिस्सा ने कहा कि यदि धन ही व्यक्तित्व के विकास का सूचक होता तो अंडरवर्ल्ड डॉन्स, भ्रष्ट व्यक्तियों, या अपराधियों को भी समाज उत्तम मान लेता. डॉ बिस्सा ने कहा कि आम के छिलके का कोई महत्त्व नहीं. उसके अन्दर का रस और गूदा महत्त्व रखता है. इसी तरह व्यक्ति का बाहरी आवरण नहीं अपितु उसके अन्दर छिपी रस रूपी शक्ति उसकी पहचान होती है. उन्होंने कहा कि समाज में या परिवार में उपजती अधिकांश समस्याओं का सबसे बड़ा कारण है कुसंवाद यानि अच्छे संवाद की कमी. घमंड, घृणा, पूर्वाग्रह, नीचा दिखाने, बात काटने, खुद को बड़ा और सामने वाले को तुच्छ साबित करने, फोन न उठाकर दूसरों को नीचा दिखाने आदि की प्रवृत्तियों का त्याग करके व्यक्ति सुसंवाद स्थापित कर सकता है. डॉ बिस्सा ने समय प्रबन्ध समझाते हुए कहा कि विद्यार्थी यदि आज समय को नष्ट करते हैं तो कल समय उन्हें नष्ट कर देगा. कार्यशाला में डॉ. बिस्सा ने अनेकानेक प्रयोगों और मैनेजमेंट गेम्स के ज़रिये विद्यार्थियों को बॉडी लैंग्वेज, परिधानों की महत्ता और सेल्फ डेवलपमेंट के सूत्र बताये.
आरएसवी ग्रुप ऑफ स्कूल्स के *सीएमडी सुभाष स्वामी* ने कहा कि अपनी इन्द्रियों अर्थात सेन्स ऑर्गन्स पर नियंत्रण, सत्य के मार्ग का प्रयोग, बुरे कर्म को करने में लज्जा तथा क्षमा करने का भाव ही वास्तविक व्यक्तित्व विकास है. स्वामी ने कहा कि जब बिना मेहनत के धन मिलता है तो मन में बुरे विचार आते हैं और गलत कार्यों को करने की इच्छा तथा लालच का जन्म होता है. स्वामी ने नैतिक मूल्यों के पालन पर बल दिया.
समूह के सीईओ आदित्य स्वामी ने विद्यार्थियों को परीक्षा का स्ट्रेस मैनेज करने की सीख देते हुए कहा कि परीक्षा में अच्छा प्रस्तुतीकरण, बढ़िया पढ़ाई और डायग्राम बनाकर उत्तर देने से परीक्षा का तनाव कम किया जा सकता है.
स्कूल प्राचार्य श्रीमती निधि ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों का मानसिक टीकाकरण करना है ताकि वे श्रेष्ठ व्यक्तित्व बनकर देश और समाज के लिए योगदान दे सकें. उन्होंने अनुशासन और अध्ययन के महत्त्व को अनेक उदाहरणों से समझाया.
कार्यक्रम संयोजक नीरज श्रीवास्तव ने कार्यशाला की सम्पूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत की और विद्यार्थियों के फीडबैक का विवरण प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन और आभार ज्ञापन डॉ. पुनीत चोपड़ा ने किया.