कपास फसल में गुलाबी सूंडी, सफेद मक्खी व मुंगफली फसल में सफेद लट के प्रकोप की सम्भावना के मध्यनजर किया सघन सर्वे
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार कैलाश चौधरी ने बताया कि इस समय मौसम में उतार चढाव के कारण व अधिक तापमान, अधिक वातावरणीय नमी की अनुकूलता के कारण कपास फसल में गुलाबी सूंडी जिसे तकनीकी भाषा में पिंक बाॅल वर्म कहा जाता है तथा सफेद मक्खी व मुंगफली में सफेद लट के प्रकोप की सम्भावना रहती है। कपास में पीबीडब्लू व सफेद मक्खी तथा मुंगफली में सफेद लट प्रकोप की सम्भावना के मध्यनजर आज कृषि विभागीय टीम द्वारा कोलायत, नोखा, बीकानेर, मेधासर, कोलासर, अणखीसर, काकडा, भामटसर बीकानेर ग्रामीण क्षेत्र में विस्तृत सर्वेक्षण कार्य सम्पादित किया गया तथा किसानों को कीट व्याधि पहचान, सर्वे व रोकथाम के आवश्यक उपायों के बारे में विस्तार से किसानों से चर्चा की गयी। तकनीकी टीम में कृषि विभाग अधिकारी उपनिदेशक यशवन्ती, भैराराम गोदारा, डा. आर एस बैरवा, कीट वैज्ञानिक केशव मेहरा मय स्थानीय कृषि अधिकारी राकेश कुमार व प्रमोद कुकणा टीम का हिस्सा रहें। गुलाबी सूंडी का क्षेत्र में कपास फसल पर कहीं प्रकोप सामने नहीं आया है वहीं आर्थिक हानि स्तर सफेद लट में सर्वेक्षण में कृषि विभाग द्वारा जिलें में प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से नीचे पाया गया है। कपास की फसल में क्षेत्र में एक दो स्थानों पर सफेद मक्खी का प्रकोप सामने आया है। आर्थिक हानि स्तर से अधिक प्रकोप होने पर फसल उत्पादन में नुकसान की सम्भावना रहती है। संयुक्त निदेशक कृषि कैलाश चौधरी ने बताया कि सफेद मक्खी उपचार के लिए इमिडाक्लोप्रिड17.8% एस एल की 0.3 एम एल मात्रा या मिथायल डेमोटॉन 25% EC की 2 एमएल प्रति लीटर प्रति हैक्टेयर के हिसाब से 400-500 लीटर पानी की मात्रा में घोल बनाकर छिड़काव कर नियंत्रण करें। मूंगफली फसल में एक दो स्थानों पर सफेद लट एवं काॅलर रूट बीमारी का प्रकोप पाया गया जो आर्थिक हानि स्तर से कम पाया गया सफेद लट नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 300 एम एल प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ देने हेतु किसानो को निर्देशित किया गया।