मौत को गले लगाना,
आसान है जवानों के लिए,
इम्तिहान तो अब जवानी का है।
शहीद होकर आसान है,
कीर्ति चक्र पाना,
इम्तिहान तो अब वीरांगनाओं का है।
वादा कर आसान है,
अपनी कर्म भूमि पर जाना,
इम्तिहान तो अब प्रेमिका की आंखो का है।
वर्दी पहनकर आसान है,
घर से निकलना,
इम्तिहान तो अब मां की ममता का है।
आसान है शहीद होना,
इम्तिहान तो अब शहादत का है।
अन्नपूर्णा रंगा
पुत्री श्री दिलीप कुमार रंगा