बालक-बालिकाओं ने किया लक्ष्मीनारायण रंगा की छः पुस्तकों का लोकार्पण

विराट साहित्य सृजक रंगा नई पीढ़ी के प्रेरणा पुंज है-डॉ. गौरीशंकर प्रजापत

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर।  प्रज्ञालय संस्थान एवं श्रीमती कमला देवी-लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट द्वारा आयोजित देश के ख्यातनाम साहित्यकार, चिंतक एवं रंगकर्मी कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा की दूसरी पुण्यतिथि पर आयोजित होने वाला चार दिवसीय समारोह ‘सृजन सौरम-हमारे बाऊजी’ का शुभारंभ कीर्तिशेष रंगा के साहित्य सृजन पर केन्द्रित रहा।
राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने बताया कि आज प्रातः 11 बजे लक्ष्मीनारायण रंगा के तीन नाटकों, दो ग़ज़ल संग्रह एवं एक निबंध संग्रह का लोकार्पण कीर्तिशेष रंगा की पावन भावना के अनुसार एक नवाचार के तहत बालक-बालिकाओं द्वारा लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में किया गया।
पुस्तक लोकार्पण मानसी व्यास, नंद गोपाल पुरोहित, कृतिका रंगा, पुलकित व्यास, हर्षिता रंगा एवं तेजेश आचार्य जो कि कीर्तिशेष रंगा के शिष्य भी रहे हैं के द्वारा किया गया। इस अवसर पर पुस्तकों को लोकार्पित करने वाले सभी बालक-बालिकाआंे ने अपनी आत्मिक भावांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हमे हमारे गुरु एवं मार्गदर्शक कीर्तिशेष रंगा की पुस्तकों का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला।
प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में अपने आप में इस अनूठे लोकार्पण कार्यक्रम में बोलते हुए साहित्यकार रंगा के शिष्यों ने कहा कि वह हमारे प्रेरणा पुंज थे। उनकी आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा।
लोकार्पित छः कृतियों पर अपनी आलोचनात्मक व्याख्या रखते हुए राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने कहा कि कीर्तिशेष रंगा अपना विराट साहित्य सृजन-संसार मानवीय वेदना-संवेदना की सूक्ष्म पड़ताल के जरिए सामाजिक सरोकारों के प्रति एक नई दृष्टि, नव बोध-नव संदर्भ के साथ पाठकों को सौंपते रहे हैं एवं नई पीढ़ी को संस्कारित करते रहे हैं।
डॉ. प्रजापत ने कहा कि रंगा की लोकार्पित छः पुस्तकों सहित उनकी विभिन्न विधाओं की कुल 175 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। वे हमेशा सृजनशील रहे एवं नई पीढ़ी को हमेशा मार्गदर्शन और आशीर्वाद देते रहे।
प्रारंभ में सभी का स्वागत वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने करते हुए आयोजन की महत्ता बताते हुए कहा कि कीर्तिशेष रंगा के पावन वाक्य ‘बालक ही भविष्य है’ कि सोच के साथ उनकी नवीनतम छः पुस्तकों का बालक-बालिकाओं द्वारा अपने गुरूजनों-छात्र/छात्राओं के बीच लोकार्पण करना अपने आप में सुखद एवं महत्वपूर्ण प्रसंग है।
एडवोकेट विजयगोपाल पुरोहित ने लक्ष्मीनारायण  रंगा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके विचारों से संकल्पित होने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में गिरिराज पारीक, प्रेम नारायण व्यास, मुनेन्द्र अग्निहोत्री, जितेन्द्र मोदी, कृष्णचंद्र पुरोहित, हरिनारायण आचार्य, आनंद छंगाणी, अशोक सैनी ‘पप्पू’, कालूराम सुथार, डॉ. फारूख चौहान, उमेश सिंह, प्रीति राजपूत, हेमलता व्यास, अरूण जे. व्यास, अंजू राव, बबीता पुरोहित, अलका रंगा, कुसुम किराडू, चन्द्रकला, सीमा पालीवाल, सीमा स्वामी, ममता व्यास, मीनाक्षी व्यास, आशीष रंगा, राजकुमार सुथार, रेखा वैष्णव, दुर्गा रंगा, मनमोहन सुथार, मुकेश स्वामी, मुकेश देराश्री, मीनू कल्ला, राजेश ओझा, अविनाश ओझा, अंजू भादाणी, इंदूबाला व्यास, घनश्याम ओझा, किरण व्यास, राजकुमारी व्यास, नवरतन उपाध्याय, वंदना व्यास, रमेश हर्ष, अविनाश व्यास, कुसुमलता जोशी, पूनम स्वामी, दीपिका राजपूत, किशोर जोशी, विजय गोपाल पुरोहित, श्रीकिशन उपाध्याय, आलोक जोशी, सुनील व्यास, दिनेश व्यास, महावीर स्वामी, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, गिरधर गोपाल, मुकेश तंवर, तोलाराम सारण, अख्तर अली, कार्तिक मोदी सहित सैकड़ों गणमान्यों की गरिमामय साक्षी रही।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवा संस्कृतिकर्मी हरिनारायण आचार्य ने कीर्तिशेष रंगा के जुडे़ कई प्रसंग साझा किए।
कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ इतिहावद् िडॉ. फारूख चौहान ने उपस्थित सभी महानुभावों को कल सांय 5 बजे श्रद्धासुमन-भावांजलि के कार्यक्रम में पधारने के अनुरोध के साथ सभी का आभार ज्ञापित किया।