आजादी के पचहतरवें साल के आयोजन शृंखला में रानी लक्ष्मीबाई को शहादत दिवस पर जिला प्रशासन एवं महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति ने किया याद
चूरू। 18 जून। आजादी के असली मायने समझने की शंृखला में हमें सबसे पहले जानना चाहिए कि हम किन महान स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से आज आजाद हवा में सांस ले रहे हैं, वहीं अगली कड़ी में हमें यह जानना चाहिए कि आजाद मुल्क में हमारे हक और हकूक क्या हैं। हमें अपने अधिकारों के प्रति सजग रहते हुए आजादी को बचाए रखना है। वहीं लंबे संघर्ष से प्राप्त आजादी के बाद एक नागरिक के रूप में प्राप्त अधिकारों के हनन के हर मोड़ पर लड़ना भी सीखना होगा। अधिकारों के प्रति लड़ना ही आजादी का पहला अध्याय है।
उक्त विचार भारत की आजादी के पचहतरवें साल आयोजन शृंखला में जिला प्रशासन एवं महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के संयुक्त तत्वावधान में महिला अधिकारिता विभाग एवं अहिंसा प्रकोष्ठ की ओर से स्थानीय बड़ौदा स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान सभागार में शनिवार को स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मीबाई के शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता राजकीय लोहिया महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रो. सरोज हारित ने व्यक्त किए।
प्रो. हारित ने कहा कि झांसी की रानी इस मायने में भी सदैव याद की जाती रहेगी कि किस प्रकार एक सामान्य-सी दुबली, पतली, कोमल और तीस वर्ष से कम की अकेली स्त्री सेना को संयोजित करते हुए साथ तमाम साथियों को जोड़ती हैं और अपने अधिकार के लिए अंग्रेजों से लोहा लेती हैं। रानी का साहस, आत्मविश्वास और मानसिक दृढ़ता के यही पैमाने हम महिलाओं को आज के संदर्भ में समझने हैं।
कार्यक्रम में आयोजकीय वक्तव्य देते हुए महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के चूरू उपखंड संयोजक रियाजत अली खान ने कहा कि आजादी की लड़ाई स्त्री और पुरुषों के सामूहिक संघर्ष और बलिदान का परिणाम है। इस लड़ाई में रानी झांसी का योगदान अप्रतिम है। कार्यक्रम में राजीविका की जिला प्रबंधक वित्तीय समावेशी पूनम चौधरी, बड़ौदा स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक रामदयाल बिश्नोई, वित्तीय साक्षरता सलाहकार हंसराज धाबाई सहित रामप्रताप बोयल, मैना कंवर, इमरती राव, गंगा शर्मा, मंजू चौहान, आंचल, रवीना, अंजू शर्मा आदि उपस्थित रहे। अहिंसा प्रकोष्ठ के सह-प्रभारी दयापाल सिंह पूनिया ने धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के जिला संयोजक डॉ. दुलाराम सहारण ने किया।