आयम्बिल की तपस्या : श्री सिद्धचक्र महापूजन कल

भक्तामर महापूजन में आगम मंत्रों व भक्ति गीतों की गूंज

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में गुरुवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में शाश्वत नवपद ओली पर्व के तहत सम्यक् दर्शन पद का पूजन व वंदन किया गया। आयम्बिल के करीब 125 तपस्वियों का गुरु इकतीसा के दौरान अभिनंदन किया गया।


भक्तामर के 44 श्लोकों,स्तोत्रों से महापूजन रूणिजा के प्रवीण जैन व उनके सहयोगी वैभव भाई ने करवाया। विचक्षण महिला मंडल, सुनील पारख व कुशल दुग्गड़ ने भगवान आदिनाथ की स्तुति वंदना के भक्ति गीत प्रस्तुत किए। शुक्रवार को सुबह नौ बजे श्री सिद्धचक्र महापूजन होगा। भक्तामर पूजा सुश्राविका कांता देवी,यशवंत, अनुराग कोठारी,सुनीता कोठारी, सौम्या कोठारी डागा, कन्हैया लाल व सरोज देवी बोथरा, विनीता सुराणा, बसंत बाबू व प्रीति डागा के नेतृत्व में अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने सविधि करीब साढ़े तीन घंटें तक करवाई।

साध्वीश्री मृगावती ने कहा कि गुरुवर्या मनोहरश्रीजी की पुण्यतिथि निमित त्रि दिवसीय विशेष पूजा अनुष्ठान व नौ दिवसीय गुरु इक्तीसा पाठ में भागीदारी निभाने व प्रभावना करने से पापों का क्षय व पुण्योदय होता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा आदिनाथ स्तोत्र का दूसरा नाम आचार्य मानतुंग द्वारा रचित भक्तामर है। जैनधर्म में सबसे अधिक भक्तिरस का अपूर्व महाकाव्य है। देव, गुरु व धर्म में आस्था व विश्वास रखने वाले अनेक श्रावक-श्राविकाएं तत्वार्थ सूत्र या भक्तामर का पाठ श्रावण किए बिना अन्न-जल तक ग्रहण नहीं करते। आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए परमात्मा के पवित्र, आलौकिक गुणों का बारम्बार चिंतन,मनन व स्तवन कर उन्हेंं आत्मा मेंं प्रतिष्ठित करने का प्रयास व पुरुषार्थ करना चाहिए।