कसाब केस की मुख्य गवाह देविका ने अनुभव किया सांझा

विनय एक्सप्रेस समाचार, मुंबई । अजमल कसाब को फाँसी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली छोटी बच्ची देविका रोटावन शनिवार को राजस्थान सूचना केन्द्र मुंबई पहुंची । देविका का एक ही सपना है राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत से मिलकर उनको अपनी ज़ुबानी अपनी कहानी बयां करना। कहीं न कहीं वो जानती है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत बहुत ही संवेदनशील हैं और हो भी क्यों नहीं आख़िर वो है तो राजस्थान की बेटी जिसे अपने प्रदेश पर गर्व है । उसने अपने अनुभव साँझा करते हुए कहा कि मुंबई की उस दर्दनाक रात को कोई कैसे भूल सकता है। उस दिन सड़कों पर आतंकवाद ने अपना सबसे घिनौना रूप दिखाया था। बरसती गोलियों ने पता नहीं कितनी मासूम ज़िंदगियाँ छीन ली थीं। उस रात को सीएसटी स्टेशन पर पूना जाने वाली ट्रेन का इंतज़ार करते हुए देविका को नहीं पता था कि उसकी ज़िंदगी पूरी तरह बदलने वाली है।

अचानक से उसने अपने सामने एक इन्सान को गोलियां चलाते हुए देखा। एक गोली उसके पैर पर लगी और पता नहीं कितनी दर्दनाक चीखें उसके कानों से होकर गुज़रीं। देविका की उम्र उस वक़्त नौ साल 11 महीने थी।


उसके पिता ने अजमल कसाब और अबू इस्माइल दोनों को गोलियां चलाते हुए देखा था जबकि देविका ने अजमल कसाब को लोगों पर क़हर बरसाते हुए अपनी आँखों से देखा था। उस वक़्त उस दरिंदे के चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी जिसे देविका कभी नहीं भूल सकती। जब कोर्ट रूम में उसे कसाब को पहचानने के लिए बोला गया तो इस छोटी सी बच्ची ने बिना डरे अपनी गवाही दी। चाहती तो वो मुकर सकती थी, डर या ख़ौफ़ दुनिया की सबसे बड़ी चीज़ है और इस डर को इस बच्ची ने कहीं पीछे छोड़ते हुए कसाब को पहचाना। टाँग में गोली लगने से उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई। छह सर्जरी होने के बाद उस बेहिसाब दर्द को सहन करना उसके लिए मुश्किल था।


इनके इतने बड़े काम के लिए उन्हें अपने गाँव राजस्थान राज्य के पाली ज़िले के सुमेरपुर गांव में लोगों ने बुलाना तक छोड़ दिया था। शादी ब्याह में इन्हें बुलाने से लोग डरते थे कि कहीं उन्हें भी आतंकवादी मार ना दें।ऐसी स्थिति की कल्पना भी करना हमारे लिए मुश्किल है। आईपीएस बनकर देश की सेवा करना चाहती है देविका, लेकिन उसके पैर का दर्द रुकावट बन जाता है और फिर भी वो चलना नहीं छोड़ती क्योंकि उसे आगे बढ़ना है, बहुत से बच्चों का हौसला बढ़ाना है, बहुत से बच्चों की प्रेरणा बनना है। अपनी पहली मुलाक़ात में राजस्थान सूचना केन्द्र की रीतू सोढ़ी ने उससे पूछा कि क्या उसे कोई मलाल है? उसने बोला नहीं – यह तो मेरा देश के लिए फ़र्ज़ बनता था। राजस्थान की बेटी प्रदेश के लिए एक मिसाल है ।