विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में मंगलवार को भगवान पार्श्वनाथ व देवी पद्मावती का तथा शाश्वत नवपद ओली पर्व के तहत ’’नमो उवज्झायाणम््’’ पद का महापूजन मंत्रोच्चारण व भक्तिगीतों के साथ किया। बुधवार को छतीसगढ़ रत्न शिरोमणि, महतरा पद से विभूषिता, गुरुवर्या साध्वीश्री मनोहरश्री म.सा. की 70 वीं पुण्यतिथि पर गुणनुवाद सभा आयोजित की जाएगी।
देवी पद्मावती का महापूजन सुश्राविका संगीता प्रवीण बच्छावत, कुसुम रंजन खजांची, सुनीता महावीर नाहटा, कर्निका बोथरा की अगुवाई में बड़ी संख्या में श्राविकाओं ने किया। देवी पद्मावती के श्रृंगार सामग्री चढ़ाई गई तथा उसकी वंदना की गई। साध्वीश्री मृगावती ने कहा कि सुख-समृद्धि प्रदात्री देवी पद्मावती महालक्ष्मी का दूसरा दिव्यतम स्वरूप है। देवी पद्मावती अपने आराधकों को एश्वर्य प्रदान करती है । देवी की उपासना से व्यापार वृद्धि, घर में सुख, शांति व लाभ की प्राप्ति होती है।
शाश्वत नवपद ओली पर्व के तहत ’’’’नमो उवज्झायाणम््’’ पद ओली के आध्यात्मिक व धार्मिक महत्व को उजागर करते हुए साध्वीश्री मृगावती ने कहा कि भगवती सूत्र में पांच परमेष्ठी में नमो अरिहंताणम, नमो सिद्धाणम्, नमो आयरियाणम््, के बाद ’’नमो उवज्झायाणम््’’ पद का वंदन की गई है। उपाध्याय हमें शास्त्र वाचना व सूत्र अध्ययन करवाकर सन्मार्ग से जोड़ते हैं। जैन धर्म में पहले आचार्य भगवंत के बाद उपाध्याय का स्थान सम्मानीय है। उपाध्याय आचार शुद्धि के बाद ज्ञानाअमृत पान करवाकर साधक को आध्यात्मिक धार्मिक व उन्नति के प्रेरित करते है। उपाध्याय के दो शब्दों में उप का अर्थ है समीप, नजदीक व अध्याय का अर्थ है अध्ययन, पठन, पाठन। जिनके पास में शास्त्र का स्वाध्याय व पठन किया जाता है व उपाध्याय है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र रत्नत्रय की आराधना में स्वयं निपूर्ण होकर अन्यों को जिनागम का अध्ययन कराने वाले उपाध्याय के रूप में प्रतिष्ठित होते है।